राज्यपाल के CCTV में फंस गई Mamata Banerjee, खुला TMC का घिनौना राज
यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसे बंगाल के राज्यपाल ने राजभवन की 100 लोगों को CCTV फूटेज दिखाई है. जिससे आरोप झूठे साबित हो रहे हैं.
बंगाल में इस वक्त चुनाव से ज्यादा महिलाओं से छेड़छाड़ का मुद्दा गूंज रहा है। पहले संदेशखाली के आरोपी शाहजहां शेख के मामले ने दहशत फैलाई। महिलाओं ने राज खोले तो शाहजहां शेख ना सिर्फ टीएमसी के लिए काल बना। बल्कि ममता बनर्जी को भी ले डूबा। लेकिन इसी बीच एक महिला सामने आई। और अब बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदबोस पर तीर चला दिए। राजभवन में यौनशोषण के आरोप लगा दिए। ये मुद्दा मामता बनर्जी को मानों बीजेपी को घेरने के लिए संजीवनी मिल गया हो। ऐसे में शाहजहां शेख के कारनामों को ममता भूल गई। और सीवी आनंद बोस के खिलाफ हल्ला बोलने मैदान में कूद पड़ी।
हालांकि अब राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता सरकारी की सच्चाई बाहर लाने और महिला के आरोप लगाने के फैसले पर ऐसा एक्शन लिया है। की सीएम साहिबा की बोलती ही बंद हो गई है। टीएमसी नेता घबराने बैठ गए हैं। दरअसल बंगाल पुलिस केस दर्ज करने के बाद राज्यपाल से बात करना चाहती है। और राजभवन के CCTV फुटेज की मांग कर रही है। ऐसे में बंगाल के राज्यपाल ने 2 मई की 100 आम लोगों को सीसीटीवी फुटेज दिखाई है,. जिसमें आरोपों के मुताबिक कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। इससे पहले बकायदा राज्यपाल ने प्रेस रिलीज जारी कर मैसेज दिया था:
"वह मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस को कोई फुटेज नहीं दिखाएंगे। इसकी बजाय वह राज्य के 100 नागरिकों को फुटेज दिखाएंगे। गवर्नर ने इसके लिए 100 आम लोगों को गुरुवार सुबह 11:30 बजे आमंत्रित किया है। इन लोगों को राजभवन की सीसीटीवी फुटेज दिखाई जाएगी, जिस दिन को लेकर आरोप लग रहा है कि गवर्नर ने महिला से छेड़छाड़ की थी।"
अब राज्यपाल बोस आरपार की लड़ाई के लिए मैदान में कूद आए हैं। क्योंकि सीसीटीवी फुटेज आरोपों को झूठा साबित कर रही है। सीसीटीवी के आधार पर तो लग रहा है कि राज्यपाल को फंसाने की कोशिश की जा रही है फिलहाल इस मामले में जांच के लिए बंगाल पुलिस ने एसआईटी गठित की है। बार बार राज्यपाल को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन वो पेश नहीं हो रहे हैं। उन्होने ना सिर्फ सीधे तौर पर बंगाल पुलिस को चेतावनी दी है। बल्कि ममता सरकार को भी आंख दिखाई है। और कहा है कि उन्हें फंसाने की नियत और राजनीति के तहत ये काम किया जा रहा है। लेकिन वो सच बाहर लाएंगे। और सबको दिखाएंगे। कि कैसे उन्हें राजनीति में घसीटकर झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश हुई है। खैर राज्यपाल के इस दांव पर भी ममता के नेताओं मंत्रियों ने बौखलाना शुरू कर दिया। सवाल उठा दिए हैं। बंगाल की वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि: "जब गवर्नर बेगुनाह हैं तो फिर पुलिस को सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं दिखाना चाहते।"
अब सवाल यही है कि चुनावों के वक्त क्यों राज्यपाल के खिलाफ ये मामला उठा। क्या इसे संदेशखाली का बदला लेने के मकसद से उठाया गया है। या फिर माजरा कुछ और है। क्योंकि बीजेपी भी इसे टीएमसी के साजिश बता रही है। बीजेपी नेता दिलीप घोष का कहना है कि ये कोई नई बात नहीं है। TMC की ये राजनीति है। ये कितना नीचे जाएंगे मुझे मालूम नहीं है।
खैर जैसे ही बीजेपी ने सवाल उठाए। मामले पर ममता सरकार को घेरना शुरू किया। वैसे ही टीएमसी नेताओं की फौज तुरंत मैदान में कूदकर राज्यपाल के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोलकर बैठ गई। जैसे ना जाने वो बंगाल छोड़कर भाग जाएंगे। अब TMC नेता कुणाल घोष कह रहे हैं उनपर एक आरोप लगा है, अगर वे पारदर्शी हैं तो उन्हें हर तरह की जांच की अनुमति देनी चाहिए। लेकिन वे ममता बनर्जी के खिलाफ राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, यह उन्हें शोभा नहीं देता
खैर अब सच्चाई क्या है जल्द इस मामले में साफ हो जाएगा। क्योंकि जिस तरीके से टीएमसी उपराज्यपाल को लगाकर घेरने के लिए बवाल पर उतर आई है। उससे तो ये मु्द्दा राजनीतिक लग रहा है। खैर अब ममता सरकार झूठ बोल रही है। या फिर राज्यपाल को फंसाने की साजिश चल रही है। चुनावी मुद्दा बनाने बीजेपी को घेरने के लिए ऐसा किया जा रहा है। सच जल्द सामने आएगा। क्योंकि CCTV फुटेज बहुत कुछ बयां कर रही है।