ममता बनर्जी खुद जूनियर डॉक्टरों से मिलने पहुंची, कहा मुख्यमंत्री नहीं, दीदी आई है
पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद से जूनियर डॉक्टरों द्वारा न्याय की मांग और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने व्यक्तिगत रूप से प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से मुलाकात की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि, डॉक्टरों ने अपनी पांच मांगों पर अड़े रहते हुए काम पर लौटने से इनकार कर दिया है।
9 अगस्त की रात कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में घटी एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना ने न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में आक्रोश और सदमे का माहौल पैदा कर दिया। जिसके बाद ही इस दर्दनाक घटना के बाद, जूनियर डॉक्टरों का पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी है। विरोध की स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद स्वास्थ्य भवन पहुंचीं और डॉक्टरों से संवाद किया। उन्होंने अपनी बात को बेहद भावनात्मक रूप से रखते हुए कहा, "मैं यहां मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि दीदी के तौर पर आई हूं। मैंने भी जीवन में संघर्ष किया है, और आपकी पीड़ा को समझती हूं।" ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि वह खुद छात्र आंदोलन से जुड़ी रही हैं और उन्हें संघर्ष का महत्व पता है। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे काम पर वापस लौट आएं और मरीजों की देखभाल करें। ममता बनर्जी ने अपनी अपील के दौरान यह भी कहा कि उन्होंने कभी अपने पद की चिंता नहीं की और अगर स्थिति नहीं सुधरती, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं। उनकी इस भावनात्मक अपील ने एक तरफ जहां डॉक्टरों के दिल को छूने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार डॉक्टरों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी।
हालांकि, डॉक्टरों ने साफ कर दिया कि वे बिना ठोस आश्वासन के काम पर नहीं लौटेंगे। डॉक्टरों ने सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की बात कही है डॉक्टरों का कहना है कि सरकार अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेँ, दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, और पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाया जाए। डॉक्टरों ने दावा किया कि अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार ने सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती है, जिसके चलते ऐसी दर्दनाक घटनाएं हो रही हैं। विरोध कर रहे डॉक्टरों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे। ऐसे में यह स्थिति ममता बनर्जी के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन गई है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही दबाव में है।
वैसे आपको बता दें कि 9 अगस्त की रात चेस्ट मेडिसिन विभाग में स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में मिलने के बाद से यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। बताया जा रहा है कि अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद पीड़िता ने अपने दोस्तों के साथ डिनर किया था। इसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं चला। अगले दिन सुबह जब चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल से उसका शव बरामद हुआ, तो अस्पताल में हड़कंप मच गया। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि डॉक्टर के साथ न केवल दुष्कर्म हुआ, बल्कि उसे बेरहमी से मारा गया।