Maneka Gandhi हार के बाद भी संसद में जाने वाली है, यूपी में बड़ा खेल हो गया
मेनका गांधी लगातार सुलतानपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनी जाती रही हैं। इस बार रामभुआल निषाद ने सपा के टिकट पर मेनका गांधी को लोकसभा चुनाव में हराया था। मेनका गांधी को 401156 और सपा के रामभुआल निषाद को 444330 वोट मिले थे। नतीजे में मेनका गांधी 43174 वोट से हार गई थीं
Maneka Gandhi : उत्तरप्रदेश बीजेपी में जो विवाद गहराया था, उसे लेकर समाजवादी पार्टी जितने मजे लूट सकती थी, लूट रही है। कभी सौ विधायक लाकर सरकार बनाने के आफर दे देती है तो कभी यूपी के दोनों डिप्टी बदले जाएंगे कहकर अफवाह उड़ा रही है, सपा मुखिया तो कतैई पर्सनल ही हो गए, और केशव प्रसाद मोर्य को दिल्ली के वाईफाई का पासवर्ड तक बता डाला। लेकिन सपा भूल गई कि जिनके घर शीशे को होते है वो दुसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारते। और अब जब पत्थर मार दिया तो बीजेपी की तरफ से भी करारा जवाब दिया गया। बीजेपी ने सपा के भीतर विस्फोट कर दिया है। इस विस्फोट सपा में किले में कंपन पैदा हो गई है। और इस कंपन को पैदा किया है बीजेपी की फायरब्रांड नेता Maneka Gandhi ने। मेनका गांधी 9 बार सुल्तानपुर से चुनकर संसद में पहुंची थी, लेकिन इस बार वो समाजवादी पार्टी के रामभुआल निषाद से चुनाव हार गई।लेकिन अब रामभुआल निषाद के खिलाफ मेनका गांधी ने मोर्चा खोल दिया है। जिससे उनका सांसदी खतरें में पड़ सकती है।
मेनका ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रामभुआल के खिलाफ याचिका दर्ज कर दी है। जिसपर 30 जुलाई को सुनवाई होने वाली है। अपनी अर्जी में मेनका गांधी ने आरोप लगाया है कि रामभुआल निषाद पर 12 आपराधिक मामले हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 का पर्चा दाखिल करते वक्त उन्होंने हलफनामा में सिर्फ 8 आपराधिक मामले होने की बात कही है। सपा सांसद रामभुआल निषाद ने हलफनामा में ये जानकारी भी नहीं दी कि इन आपराधिक मामलों में से 4 में उन पर चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है।
रामभुआल निषाद ने जो 4 आपराधिक मामले छिपाए, वे गोरखपुर और बड़हलगंज थानों में दर्ज हैं। मेनका गांधी ने इस आधार पर रामभुआल निषाद की सांसदी रद्द करने की मांग की है। जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत हर उम्मीदवार को चुनाव के दौरान हलफनामा दाखिल कर सभी अहम जानकारियां देनी होती हैं। इनमें कोई गड़बड़ी पाए जाने पर निर्वाचन रद्द भी किया जा सकता है। और अगर रामभुआल पर लगे आरोप सिध्द हो जाते है तो ये सपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। वहीं मेनका गांधी की याचिका के बाद सवाल ये भी उठते है कि जब निर्नाचन आयोग में हलफनामा दाखिल करते है तो क्या उनके हलफनामों की क्रास चेकिंग नहीं होती है। क्या उनकी जांच नहीं होती है। कि जानकारी सही दी गई है या गलत। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर चुनाव आयोग को अपनी इस प्रक्रिया में बदलाव करने की जरुरत है।
अगर आयोग हलफनामों को मुस्तैदी से ले तो ऐसी नौबत ही शायद नहीं आए । खैर अब तो रामभुआल के खिलाफ दाखिल हुई याचिका की जांच होगी, और कोर्ट फैसला करेगा कि सांसदी जाती है या नही। वैसे अगर बात मेनका गांधी की करें तो, मेनका गांधी लगातार सुल्तानपुर से जीतकर संसद में पहुंचती रही है लेकिन इस बार मेनका 43174 वोटों से चुनाव हार गई। और अगर कोर्ट के द्वारा रामभुआल निषाद की सांसदी रद्द की जाती है तो फिर मेनका गांधी के पास दसवी बार संसद में पहुंचने का मौका हो सकता है। और अगर ऐसा होता है तो फिर मेनका को जीत दिलाने के लिए मोदी भी जी जान लगा देंगे। क्योंकि मेनका गांधी बीजेपी की फायरब्रांड नेता से साथ ही निडर और बेबाक नेता भी है। ये बीजेपी के लिए अच्छी खबर हो सकती है। अगर रामभुआल निषाद की सांसदी जाती है। वैसे आपको क्या लगता है, मेनका गांधी को संसद में होना चाहिए या नही।