वक्फ कानून पर मायावती ने तोड़ी चुप्पी, बीजेपी के बजाय राहुल गांधी पर बोला बड़ा हमला
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की खामोशी पर अब सवाल उठाए है.

देश में इन दिनों वक्फ संशोधन कानून को लेकर सियासत गरमाई हुई है. विपक्ष समेत कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया तो बीजेपी समेत एनडीए गठबंधन में शामिल दलों ने इसे गरीब मुस्लिमों के लिए हितकारी बताया. इस बीच बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की खामोशी पर अब सवाल उठाए है. मायावती ने आरोप लगाया कि जिस तरह से वक्फ के मुद्दे पर राहुल गांधी की चुप्पी से मुस्लिम समाज और इंडिया गठबंधन के बीच बेचैनी स्वाभाविक है.
दरअसल, बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को सोशल मीडिया के एक्स पर सिलसिलेवार तीन पोस्ट किए. उन्होंने अपने पहले पोस्ट में "वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हुई लम्बी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा कुछ नहीं बोलना अर्थात सीएए की तरह संविधान उल्लंघन का मामला होने के विपक्ष के आरोप के बावजूद इनका चुप्पी साधे रहना क्या उचित? इसे लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश व इनके इण्डिया गठबंधन में भी बेचैनी स्वाभाविक."
1. वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हुई लम्बी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा कुछ नहीं बोलना अर्थात सीएए की तरह संविधान उल्लंघन का मामला होने के विपक्ष के आरोप के बावजूद इनका चुप्पी साधे रहना क्या उचित? इसे लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश व इनके इण्डिया गठबंधन में भी बेचैनी स्वाभाविक।
— Mayawati (@Mayawati) April 12, 2025
धार्मिक अल्पसंख्यकों के छलावें से बचे
मायावती ने अपने दूसरे पोस्ट में लिखा "वैसे भी देश में बहुजनों के हित, कल्याण एवं सरकारी नौकरी व शिक्षा आदि में इन वर्गों के आरक्षण के अधिकार को निष्प्रभावी व निष्क्रिय बनाकर इन्हें वंचित बनाए रखने के मामले में कांग्रेस, भाजपा आदि ये पार्टियाँ बराबर की दोषी। धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी इनके छलावा से बचना जरूरी."
बदहाल हालत में बहुजन
बसपा चीफ़ ने अपने अंतिम पोस्ट में कहा "इनके ऐसे रवैयों के कारण उत्तर प्रदेश में भी बहुजनों की स्थिति हर मामले में काफी बदहाल व त्रस्त जबकि भाजपाइयों को कानून हाथ में लेने की छूट. साथ ही, बिजली व अन्य सरकारी विभागों में बढ़ते हुए निजीकरण से हालात चिन्तनीय. सरकार जनकल्याण का संवैधानिक दायित्व सही से निभाए."
बताते चले कि इससे मायावती बसपा प्रमुख ने इस सरकार से इस कानून पर पुनर्विचार कर फ़िलहाल के लिए इसे निलंबित करने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा था संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक पर हुई चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्ष को सुनकर यही लगता है कि केंद्र सरकार इस कानून को लेकर जनता को कुछ समय और देती इसे समझने का तो बहतार होता. मायावती ने यह भी साफ़ किया था कि अब यह कानून लागू हो चुका है और अगर इस कानून का सरकार दुरुपयोग करती है तो पार्टी पूरी तरह से सरकार का विरोध करते हुए मुस्लिम समाज का साथ देगी. हालाँकि संसद में इस वक्फ कानून के बिल पेश होने पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताया था.