Waqf Board की शक्ति पर लगाम लगाने की तैयारी में मोदी सेना
मोदी सरकार के लिए 5 August का दिन काफी महत्व रखता है। जब दूसरी बार केंद्र में मोदी की सरकार बनी तब अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया गया था। वहीं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भी 5 अगस्त, 2020 के दिन ही नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किए था। साल 2020 के बाद साल 2021, 2022, यहां तक की 2023 का भी 5 अगस्त सूखे में बीत गया। लोगों को भी 5 अगस्त के दिन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीद है। और अब इसी उम्मीद को पूरा एक बार पिर किया जाएगा। इस साल 05 अगस्त को कुछ बड़ा होने वाला है।
मोदी सरकार एक बार फिर एक बहुत बड़ा फैसला लेने जा रही है। खबर है कि हिंदूओं का हक छिनने वाले वक्फ बोर्ड में केंद्र सरकार 40 से ज्यादा संशोधन करने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो इससे संपत्तियों के दूरूप्योग पर रोक लग सकेगी। संशोधन विधेयक 5 अगस्त को संसद में पेश हो सकती है। सूत्र बताते है कि केंद्र सरकार किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने की शक्तियों पर विराम लगाना चाहती है। और इसी वजह से सरकार इसमें संशोधन करने जा रही है।
वक़्फ़ बोर्ड की ताकत ये है कि इस बोर्ड में शामिल कोई भी अधिकारी का कोई कार्याधिकारी अगर किसी व्यक्ति को कह देता है कि ये संपत्ति वक्फ की है तो जो व्यक्ति है वो साबित करेगा कि वो संपत्ति उसकी है, न कि बोर्ड। तमिलनाडू में वक्फ बोर्ड को लेकर एक बात सामने आई कि बोर्ड ने राम गोपाल नामक एक व्यक्ति की जमीन समेत पूरे गांव की संपत्ति पर अपना दावा ठोक दिया। जिसमें 1500 साल पुराना मंदिर भी था। इसके अलवा अकेले त्रिचि जिले में 6 गावों की जमीन पर वक्फ ने कब्जा कर लिया। Waqf Act 1995 का Section 3 कहता हे कि अगर वक्फ सिर्फ सोच लेता है कि जमीन किसी मुसलिम से संबंधित है। तो वो उसपर अपना हक जताएगा। बटवारे के समय पाकिस्तान औऱ बंगलादेश से जो मुसलमान पलायन कर के आए उनके संपत्तियों को मुसलमानों ने आपस में बांट लिया। लेकिन भारत से पलायन कर के पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की संपत्ति वक्फ के पास चली गई। और अभी जो भी मैने बताया वो सब हुआ कांग्रेस के शासन काल में। अब इसे भेदभाव कहे या कांग्रेस द्वारा कि गई तुष्टिकरण की राजनीति, गलत नहीं होगा।