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'एक देश एक चुनाव' की दिशा में आगे बढ़ी मोदी सरकार, कैबिनेट ने बिल को दी मंज़ूरी

देश में लोकसभा और विधानसभा समेत सभी चुनाव को एक साथ करवाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने 'एक देश एक चुनाव'के विधेयक को मंज़ूरी दे दी है।
'एक देश एक चुनाव' की दिशा में आगे बढ़ी मोदी सरकार, कैबिनेट ने बिल को दी मंज़ूरी
देश में लोकसभा और विधानसभा समेत सभी चुनाव को एक साथ करवाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने 'एक देश एक चुनाव'के विधेयक को मंज़ूरी दे दी है। अब ख़बर ये निकलकर सामने आ रही है कि अब इस बिल को मोदी सरकार संसद के इसी सत्र के अगले सप्ताह में सदन के पटल पर रख सकती है। इससे पहले मोदी कैबिनेट ने रामनाथ कोविंद समिति द्वारा बनाई रिपोर्ट को भी अपनी मंज़ूरी दी थी। 


अगले हफ़्ते पेश हो सकता है विधेयक 

दरअसल, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही थी। इस बात के क़यास पहले से लगाए जा रहे थे कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मोदी सरकार सदन में एक देश एक चुनाव का विधेयक पेश कर सकती है। इस बीच गुरुवार को ख़बर सामने आई है कि मोदी कैबिनेट ने इस बिल को पास कर दिया है। अब सरकार इस बिल पर लंबी चर्चा के लिए बिल को सदन में पेश करने के बाद इसे जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) भेज सकती है। सरकार इस बात की कोशिश करेगी कि इस बिल पर सभी की सहमति बने। सरकार द्वारा इस बिल को पेश करना का मुख्य उद्देश्य है कि 100 दिनों के अंदर नगर निगम, ग्राम पंचायत के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव कराना है। इससे अलग-अलग चुनावों पर होने वाले ख़र्च में भी भारी भरकम कमी आएगी। इससे चुनाव के दौरान होने वाली हिंसा और आपसी रंजिश के मामले भी ख़त्म होंगे। हालाँकि इस बिल को लेकर कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन यानी विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस क़दम का विरोध किया है, वही NDA के अंदर आने वाली बीजेपी के सहयोगी दलों ने इस बिल को लेकर एक उत्साह दिखाया है। 


इस बिल के क्या है फ़ायदे?

इस बिल को लेकर सरकार का दावा है कि विभिन्न चुनावों को सम्पन्न कराने में आने वाले ख़र्च और समय दोनों की बचत होगी। वही सुरक्षाबलों पर भी आने वाला दबाव भी ख़त्म होगा। आगर देश में एक देश एक चुनाव बिल पास होता है तो सरकारी विभागों के कर्मचारी जो चुनाव के ड्यूटी में लगते है उनके समय की बचत होगी तो सरकारी विभाग के काम तय समय में निपटेंगे। वही इसके लागू होने से विकास कार्यों के लिए भी ज़्यादा समय मिलेगा। इससे पहले भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी सरकार से वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति बनाने के लिए पहल करने का आदेश दिया था।
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