Modi या Congress आखिर Ambedkar के मुद्दे पर Mayawati ने दिया किसका साथ ?
Ambedkar पर Amit Shah के बयान से मचे घमासान के बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मारी एंट्री, बीजेपी और कांग्रेस दोनों की जमकर लगाई क्लास !
देश का संविधान लिखने वालों में बड़ी भूमिका निभाने वाले भीमराव आंबेडकर के नाम पर आज भी खूब राजनीति होती है। क्योंकि उनके नाम से सीधे दलित वोट जुड़ा हुआ है। जिसे साधने के लिए देश की दो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी में संसद से लेकर सड़क तक जंग चलती रहती है। कभी आरक्षण को लेकर तो कभी दलितों पर अत्याचार को लेकर। लेकिन इस बार बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। और बात यहां तक पहुंच गई कि खुद मोदी को मैदान में उतरना पड़ा। तो वहीं अब दलितों की सबसे बड़ी नेता बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी मैदान में उतर गई और बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक। सबको उधेड़ कर रख दिया।
संसद से सड़क तक जब भी मोदी सरकार मुश्किल में फंसी।अमित शाह किसी चट्टान की तरह मोदी सरकार के लिए विपक्ष से लड़ते रहे लेकिन इस बार दांव उलटा पड़ गया। क्योंकि संसद में बोलते बोलते अमित शाह भीम राव अंबेडकर पर कुछ ऐसा बोल गये। जिससे सड़क से लेकर संसद तक विपक्ष ने बवाल काट दिया। और बात अमित शाह के इस्तीफे तक पहुंच गई।
अंबेडकर पर संसद में दिये गये अमित शाह के बयान से मोदी सरकार कितनी बुरी तरह से फंस गई ये इसी बात से समझ सकते हैं कि खुद पीएम मोदी को इस मसले पर सफाई देनी पड़ गई कि। "संसद में अमित शाह जी ने डॉ. आंबेडकर का अपमान करने और एससी/ एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया है, अमित शाह ने जो तथ्य स्पष्ट किए हैं, उससे कांग्रेस भौचक्की रह गई, यही कारण है कि वे अब नाटकीयता में लिप्त हो गए हैं, कांग्रेस के लिए दुख की बात ये है कि लोग सच्चाई जानते हैं, हम जो कुछ भी हैं, वो डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर के कारण हैं, हमारी सरकार ने पिछले दशक में डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए अथक प्रयास किया है"
अमित शाह के एक बयान के बाद अंबेडकर के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में छिड़े वार पलटवार के बीच यूपी की चार बार की मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि। "कांग्रेस और बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की आड़ में अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने की बजाय, इनका पूरा आदर-सम्मान करना चाहिये। इन पार्टियों के लिए इनके जो भी भगवान हैं उनसे पार्टी को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन दलितों और अन्य उपेक्षितों के लिए एकमात्र इनके भगवान केवल बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हैं, जिनकी वजह से ही इन वर्गों को जिस दिन संविधान में कानूनी अधिकार मिले हैं, तो उसी दिन इन वर्गों को सात जन्मों तक का स्वर्ग मिल गया था, इसलिये कांग्रेस, बीजेपी आदि पार्टियों का दलित और अन्य उपेक्षितों के प्रति प्रेम विशुद्ध छलावा है इनसे इन वर्गों का सही हित और कल्याण असंभव है, इनके कार्य दिखावटी ज्यादा, ठोस जनहितैषी कम, बहुजन समाज और इनके महान संतों, गुरुओं, महापुरुषों को समुचित आदर-सम्मान बीएसपी सरकार में ही मिल पाया"
दलितों की बड़ी नेता मानी जाने वालीं मायावती ने अंबेडकर के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी तो फिर ना कांग्रेस को बख्शा और ना ही बीजेपी को। दोनों ही पार्टियों की जमकर क्लास लगा दी।एक बयान से साफ कर दिया कि दलितों और उपेक्षितों के लिए बस एक ही भगवान हैं वो हैं भीमराव आंबेडकर। तो वहीं अंबेडकर के नाम पर राजनीति की बात करें तो। कांग्रेस आज भले ही अंबेडकर के नाम पर हल्ला मचा रही हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसी कांग्रेस ने अंबेडकर को हराने के लिए चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारे और खुद नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया। इतना ही नहीं नेहरू और इंदिरा गांधी को उनके जीवनकाल में ही कांग्रेस सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दे दिया। लेकिन 1956 में दुनिया को अलविदा कहने वाले अंबेडकर को मरणोपरांत भी कांग्रेस सरकारों ने भारत रत्न देने लायक नहीं समझा। साल 1990 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तब जाकर वीपी सरकार में उन्हें भारत रत्न दिया गया। और आज यही कांग्रेस मोदी सरकार पर अंबेडकर के अपमान का आरोप लगा कर उनसे इस्तीफा मांग रही है।