SC/ST Reservation पर Modi ने लिया ऐसा फैसला, खुश हो गईं Mayawati
SC-ST आरक्षण में नहीं होगा क्रीमी लेयर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार ने साफ किया रुख तो दलितों की बड़ी नेता मायावती ने की खूब तारीफ
SC/ST : दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान का संविधान लिखने वाले भीम रॉव अंबेडकर ने दलित समाज को बराबरी का हक दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया था। और अब इसी आरक्षण को लेकर कुछ ही दिनों पहले देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़ी बड़ी टिप्पणी की थी। पहली टिप्पणी ये थी कि।SC/ST को मिलने वाले आरक्षण में से उसी वर्ग के आरक्षण का लाभ पाने से वंचित रह गये लोगों को लाभ देने के लिए वर्गीकरण किया जा सकता है।
जबकि दूसरी टिप्पणी ये थी कि। एसटी-एसटी के आरक्षण का लाभ पा चुके लोगों को क्रीमीलेयर के रूप में चिन्हित कर उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की इन दो बड़ी टिप्पणी के बाद दलित समाज में जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा था। और ये गुस्सा कब। विरोध प्रदर्शन का रूप लेकर सड़क पर उतर जाए। कुछ कहा नहीं जा सकता था। यही वजह है कि नौ अगस्त को एससी एसटी समाज के सांसदों ने पीएम मोदी से इस मामले पर बात की। और मोदी सरकार ने नौ अगस्त को ही कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बाबा साहब ने संविधान लिखते समय एससी और एसटी में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं किया था।केंद्र सरकार उसी स्थिति को बनाए रखेगी।
कैबिनेट मीटिंग में आरक्षण से जुड़ा अहम फैसला लेने के बाद खुद पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि आज एससी एसटी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और एससी एसटी समाज के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराया। पीएम मोदी के इस फैसले के बाद दलितों की बड़ी नेता बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी जमकर तारीफ की। और एक ट्वीट में कहा कि। "माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज उनसे भेंट करने गए बीजेपी के SC/ST सांसदों को यह आश्वासन देना कि SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने और एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा, यह उचित है और ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत "
इसके साथ ही मायावती ने मोदी सरकार से ये भी कहा कि "अच्छा होता कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल की ओर से आरक्षण को लेकर एससी और एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना और इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता "
आपको बता दें। अब तक ओबीसी समाज को दिये जाने वाले आरक्षण में ही ये प्रावधान है कि एक बार अगर कोई ओबीसी आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी अधिकारी बन जाता है तो उसका परिवार क्रीमीलेयर के दायरे में आ जाता है। और उसे दोबारा ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। यानि उसे गैर आरक्षित सीट से नौकरी या किसी स्कूल कॉलेज में एडमिशन लेना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी आरक्षण में भी इसी तरह से क्रीमीलेयर लागू करने का सुझाव दिया था। लेकिन दलित और आदिवासी समाज ने इसका जबरदस्त विरोध किया। जिस पर मोदी सरकार ने एससी एसटी समुदाय को ये भरोसा दिया कि उनके आरक्षण में ना कोई क्रीमीलेयर लागू होगा। और ना ही कोई वर्गीकरण होगा।