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शुक्रवार को हो रहे साप्ताहिक अवकाश को लेकर सांसद निशिकांत दूबे की मांग, कार्रवाई करे सरकार

झारखंड के कुछ स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार की जगह शुक्रवार को होती है। और शुक्रवार को स्कूल बंद होता है। ये मुद्दा लोकसभा में भी उठा। और इसपर अपनी बातों को रखा BJP के सांसद निशिकांत दूबे ने।
शुक्रवार को हो रहे साप्ताहिक अवकाश को लेकर सांसद निशिकांत दूबे की मांग, कार्रवाई करे सरकार

झारखंड का मुद्दा जब भी लोकसभा में गुंजता है। वो हैरान करने वाला होता है। ऐसा ही एक मुद्दा लोकसभा में गुंजा, और इसे उठाया झारखंड से गोड्डा सांसद नीशिकातं दूबे ने। झारखंड का संथाल परगना मुसीबत में है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि संथाल परगना कई सारी मुसीबतों से जुझ रहा है। बात चाहे Demographic Change की हो या वहां बढ़ती बागलादेशी घुसपैठियों की। झारखंड के संथाल परगना में रहने वाले आदिवासी-मूलवासी  अपनी पहचान खोते जा रहें है। 

स्कूलों में छुट्टी का मामला लोकसभा में गुंजा 

सुनकर और जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन झारखंड के कुछ स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार की जगह शुक्रवार को होती है। और शुक्रवार को स्कूल बंद होता है। ये पहली बार नहीं है जब ये मुद्दा प्रकाश में आया हो। पहले भी ये मुद्दा कई बार खबरों में आया, चर्चा बटोरी, इसपर राजनीति भी हुई लेकिन इसपर आजतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। लोकसभा के शून्यकाल के दौरान इसी मुद्दे को सांसद निशिकांत दूबे ने उठाया और कहा कि - झारखंड की स्थिति बहुत बुरी है। और जो मै लगातार कह रहा हूं कि संविधान खतरे में है, तो सचमुच संविधान खतरे में है। 

उन्होंने इसपर अपनी बातों को रखा।निशिकांत ने यहां DGP से सांसद बने हरीश चंद्र मीणा को भी इस बात में अपनी राय देने के लिए अपील की। पूरी बातों को रखने के बाद 'भारत सरकार से रविवार के बदले झारखंड के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी और उन सरकारी स्कूलों में उर्दू नाम जोड़ने के ग़ैर संवैधानिक कार्यों के लिए धारा 355 लागू करने और सभी दोषी ज़िलाधिकारी के खिलाफ कारवाई करने का आग्रह किया'।

इससे पहले भी जब निशिकांत दूबे अपनी बातों को रखने के लिए खड़े हुए थे। तब भी उन्होंने झारकंड के संथाल परगना का ही मामला उठाया था। जिसमें उन्होंने झारखंड में हो रहें Demographic Change का मुद्दा उठाया था। इस दौरान अपनी बातों को रखते हुए वो भड़क उठे थे। और इस्तीफा देने तक की बैत कह डाली थी। खैर ये पहली बार नहीं है जब ये मुद्दा उठा हो। ये मामला कई बार प्रकाश में आ चुका है। लेकिल इसपर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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