नोएडा प्राधिकरण में कर्मचारियों को लापरवाही पड़ी भारी, खड़े होकर काम करने को हुए मजबूर
दरअसल, नोएडा प्राधिकरण में एक बुजुर्ग दंपत्ति अपनी शिकायत लेकर पहुंचा था. कर्मचारी बुजुर्ग का काम करने की बजाय उन्हें टाल रहे थे. बार बार लगातार बुजुर्ग दंपत्ति फरियाद लेकर आया लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. ये बात जब प्राधिकरण के CEO को पता चली तो उन्होंने कर्मचारियों को आधे घंटे तक खड़े होकर काम करने की सजा दी. बकायदा CCTV से कर्मचारियों पर निगरानी रखी गई. अब CEO का ये कदम चर्चा का विषय बन गया.
क्या था पूरा मामला ?
अब समझिए हुआ क्या था जो CEO कर्मचारियों पर सख्ती बरतने के लिए मजबूर हुए. नोएडा प्राधिकरण के CEO एम लोकेश अपने ऑफिस से काम की मॉनिटरिंग कर रहे थे. तभी उन्होंने नोटिस किया कि एक बुजुर्ग दंपत्ति काफ़ी देर से वहां खड़े हुए हैं. इसके बाद उन्होंने निर्देश दिया कि बुजुर्ग की शिकायत का जल्दी से समाधान किया जा सके ताकि उन्हें परेशानी ना हो. लेकिन कुछ देर बाद CCTV फिर से देखा तो बुजुर्ग दंपत्ति तब भी खड़ा था. ये देख एम लोकेश ग़ुस्से में प्राधिकरण ऑफिस पहुंचे फिर कर्मचारियों को फटकार लगाई साथ ही उन्हें आधे घंटे खड़ा होकर काम करने की सजा सुनाई. इसके बाद नतीजा आपकी आंखों के सामने है सरकारी महकमे के सभी कर्मचारी हाथ बांधे, सिर झुकाए खड़े हैं.
सरकारी विभाग का जिक्र होते ही आपको क्या ख़्याल आता है. वो ही खटर-पटर करते टाइप राइटर, धीरे धीरे चलते घिसे पिटे पंखे, लंच का बहाना बनाकर लोगों के काम में लापरवाही बरतना, है ना ? भले ही अब सरकारी विभागों की इमारत आधुनिक हो गई हों. लेकिन काम के तरीकों में मजाल है जो बदलाव आ जाए. यहां आए किसी पीड़ित की परेशानी एक बार में दूर कर दे वो कैसा सरकारी विभाग. बस इसी विचारधारा पर चलते हैं हमारे यहां के सरकारी कर्मचारी. लेकिन इस बार उनको ये लापरवाही भारी पड़ी और सजा ऐसी मिली की सिर शर्म से झुक जाए.
कौन हैं एम लोकेश ?
IAS अधिकारी एम लोकेश पहले कानपुर में कमिश्नर के तौर पर तैनात थे. एम लोकेश कौशांबी, अमरोहा, ग़ाज़ीपुर, कुशीनगर और मैनपुरी के DM भी रहे हैं. IAS अधिकारी एम लोकेश CM के करीबी अधिकारियों की लिस्ट में भी शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर IAS अधिकारी एम लोकेश के इस कदम की जमकर तारीफ हो रही है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस सजा को स्कूल के बच्चों वाली सजा बता रहे हैं. जो भी हो सजा छोटी हो या बड़ी IAS के इस कदम से सरकारी महकमें में कम से कम ये मैसेज तो जाएगा कि AC में बैठकर सिर्फ़ कुर्सियां तोड़ना ही उनका काम नहीं है. अब शायद उन्हें बुजुर्ग दंपत्ति की तकलीफ का अंश मात्र भी अंदाजा हुआ हो. हर दिन कितने ही ऐसे फरियादी आते हैं जो ऐसे लापरवाही कर्मचारियों के आगे सिर पीटकर रह जाते हैं अब शायद ये कर्मचारी आगे भी ऐसा करने से बचेंगे. बहरहाल ऐसा संदेश हर सरकारी कार्यालय तक पहुंचना चाहिए.