‘देश में नहीं बचेगी एक भी मस्जिद’, सांसद वीरेंद्र सिंग का बड़ा बयान
देश में इस वक़्त कई मस्जिदों को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसे में सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने बड़ा बयान देते हुए एक नई बहस छेड़ दी है, उन्होंने कहा कि, अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश में एक भी मस्जिद नहीं बचेगी, विस्तार से जानिए पूरा मामला
संभल की जामा मस्जिद को लेकर बवाल, बदायूं की जामा मस्जिद पर सवाल, दिल्ली की जामा मस्जिद में भी मंदिर का ख़्याल, जौनपुर की अटाला मस्जिद में मंदिर की बात, अजमेर की दरगाह पर वार, भोजशाला पर भी प्रहार। देश में इस वक़्त मस्जिदों, दरगाह पर ख़तरा मंडरा रहा है, क्योंकि अब बात अयोध्या के बाद काशी, मथुरा होते हुए कहीं आगे निकल चुकी है, जिसके बाद कहा जाने लगा है कि, अब देश में एक भी मस्जिद नहीं बचेगी, क्योंकि तत्कालीन CJI ने आदेश ही ऐसा दे रखा है ? जिसके बाद प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर नहीं बहस छिड़ गई हैं।
हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए माँग कर दी है कि, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट ख़त्म होना चाहिए, जबकि मुस्लिम पक्ष की माँग हैं कि, इस लागू रखना चाहिए और काशी, मथुरा, अयोध्या कों छोड़ कर जो भी प्रावधान में था, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट उसी तरह से काम करें, सुप्रीम कोर्ट में इसी बहसबाजी के बीच सांसद वीरेंद्र सिंह ने बड़ा बयान देकर तहलका मचा दिया है और कह दिया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश में एक भी मस्जिद नहीं बचेगी । "सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का निर्देश दिया था, इसलिए 1947 से पहले बने किसी भी स्थान से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन हमारे जो पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे, सारे के सारे झगड़े की जड़ वही हैं, उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का आदेश देकर सर्वे के लिए एक खिड़की खोल दी है"
सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर सारा दोष मढ़ते हुए कहा दिया कि, उन्होंने ज्ञानवापी में सर्वे का आदेश देकर गलती की, जिसके बाद अब उसे ही आधार बनाकर हर कोर्ट में याचिका डालने के रास्ते खुल गए हैं और इसी का फ़ायदा हिंदू संगठन उठा रहें हैं, जिससे अमन-चैन बिगड़ रहा है
"आप सर्वे कराकर विद्वेष पैदा करते हैं, जिस तरीके से देश जहां विकास और प्रगति की बात करता है, हम शिक्षा-स्वास्थ्य, लोगों को रोजगार कैसे मिले इस पर विचार करने की जगह हर मस्जिद के नीचे मस्जिद खोजने का प्रयास कर रहे हैं, जो अमन-चैन है उसको बिगाड़ने का काम कर रहे हैं"
क्या है प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट?
साल 1991 में कांग्रेस सरकार के समय ये लाया गया था, पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे, अयोध्या का मुद्दा छाया हुआ था, जिसकी वजह से देश की और मस्जिदों में भी मंदिर-मस्जिद विवाद सामने आने लगे थे, जिससे निपटने के लिए कांग्रेस ये कानून लेकर आई, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है, 1947 के समय देश में जिस धार्मिक स्थल की संरचना जैसी थी, उसे वैसा ही रखा जाएगा, धार्मिक स्थल की मूल संरचना के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी, धार्मिक स्थल पर दावा करने वाली कोई याचिका आए तो उसे खारिज कर दिया जाए, अयोध्या, काशी, मथुरा को इस एक्ट से बाहर रखा गया था।
लेकिन साल 2023 में ज्ञानवापी परिसर सर्वे का मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था तो ।तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था, CJI के साथ, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी बेंच में शामिल थे।
ज्ञानवापी परिसर सर्वे पर 2023 का फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें ASI को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने की मंजूरी दी गई थी, 4 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सर्वे को बिना किसी खुदाई, तोड़-फोड़, के किया जाए, तकनीकी के तहत ही सर्वे हो।
फिलहाल प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि, केंद्र के जवाब के बाद ही इसपर सुनवाई का विचार किया जाएगा, ऐसे में सपा सांसद के बयान, अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश में अमन चैन बिगड़ जाएगा।