Advertisement

अब नहीं जला पाएंगे पटाखे! सुप्रीम कोर्ट ने लगाया दिल्ली-NCR में स्थायी प्रतिबंध

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और इस्तेमाल पर सालभर के लिए प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीना हर नागरिक का हक है और दिवाली या अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों से बढ़ने वाला वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
अब नहीं जला पाएंगे पटाखे! सुप्रीम कोर्ट ने लगाया दिल्ली-NCR में स्थायी प्रतिबंध
दिल्ली और एनसीआर की दमघोंटू हवा में सांस लेना हर साल सर्दियों में एक चुनौती बन जाता है। दिवाली आते ही पटाखों का धुआं, पराली जलाने की समस्या और औद्योगिक प्रदूषण मिलकर हवा को जहरीला बना देते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है—अब पूरे साल दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध केवल कुछ महीनों के लिए नहीं बल्कि पूरे साल लागू रहेगा।

पटाखों पर सालभर की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया, जो प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार देता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ दिवाली या खास मौकों पर बैन लगाना काफी नहीं है क्योंकि प्रदूषण की समस्या सालभर बनी रहती है। बेंच ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर के कई नागरिकों के पास एयर प्यूरीफायर जैसी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे उन्हें जहरीली हवा में जीने को मजबूर होना पड़ता है। इस फैसले से साफ है कि पर्यावरण और जनता की सेहत को ध्यान में रखते हुए कठोर कदम उठाना जरूरी हो गया था।

पटाखों के खिलाफ यह सख्ती क्यों जरूरी थी?

दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में प्रदूषण साल दर साल खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। खासतौर पर दिवाली के समय पटाखों से निकलने वाला धुआं और जहरीली गैसें हालात को बदतर बना देती हैं। पटाखों से निकलने वाले प्रदूषकों से दमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन रोग बढ़ जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह धुआं जानलेवा साबित हो सकता है। हर साल नवंबर-दिसंबर में AQI (Air Quality Index) खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। पटाखों के चलते ध्वनि प्रदूषण भी गंभीर समस्या बनती जा रही है।

पटाखों की बिक्री पूरी तरह बंद हो जाएगी?

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि इस बैन को सख्ती से लागू किया जाए। यानी अब पटाखों की बिक्री, निर्माण और भंडारण पूरी तरह गैरकानूनी होगा। इसके तहत दिल्ली पुलिस और पर्यावरण विभाग को निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कोई अवैध रूप से पटाखों की बिक्री न कर सके।

हालांकि, इस फैसले से पटाखा विक्रेताओं को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। कई व्यापारियों और संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर तर्क दिया था कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जनता की सेहत और पर्यावरण की सुरक्षा प्राथमिकता है।

क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध है?

इस फैसले के विरोध में कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। उनका कहना है कि दिवाली पर पटाखे जलाना हमारी परंपरा का हिस्सा है और इस पर रोक लगाना गलत है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक परंपराओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन जब वे किसी और की सेहत के लिए खतरा बन जाएं, तो उन पर रोक लगाई जा सकती है। इस फैसले से दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों को सबसे बड़ा फायदा होगा। साफ हवा मिलेगी, बीमारियों में कमी आएगी, पर्यावरण को फायदा होगा और साथ ही सरकार पर दबाव कम होगा।

क्या इस बार भी ग्रीन पटाखों को छूट मिलेगी?
पिछले साल सरकार ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, जो अपेक्षाकृत कम प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन अब इस फैसले के बाद ग्रीन पटाखों पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी प्रकार के पटाखे पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं और उनका उपयोग रोका जाना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस फैसले को सख्ती से लागू कर पाएगी? हर साल प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में पटाखे जलाए जाते हैं। ऐसे में प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह बैन सिर्फ कागजों पर न रहे, बल्कि जमीन पर भी सही से लागू किया जाए।

अगर दिल्ली-एनसीआर इस बैन को सही से लागू कर पाता है, तो यह देशभर के लिए एक मिसाल बन सकता है। यह फैसला न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की ओर भी बड़ा कदम है।
Advertisement

Related articles

Advertisement