Yogi के नेमप्लेट वाले फैसले पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा: सिर्फ नाम से जाती की पहचान नहीं होगी
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खान-पान की वस्तुओं में गंदी चीजों की मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। और निर्देश दिया है कि सभी खाने-पीने की दुकान, ढाबे, होटल और रेस्टॉरेंट्स पर अब मालिक और मैनेजर का नाम लिखना भी अनिवार्य होगा। इस फैसले पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि सिर्फ नाम से जाती की पहचान नहीं होगी।
Shankaracharya Avimukteshwaranand, इस नाम को किसी पहचान की जरूरत नहीं। मीडिया में ये नाम खिब चर्चा में रहता है। अपने मुस्लिम विरोधी बयान और हिंदुत्व के प्रति प्यार से अविमुक्तेश्वरानंद की डंका देशभर में बजती है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद चर्चा में तब आए जब उन्होंने मोदी और योगी के खिलाफ राम मंदिर को लेकर मोर्चा खोल दिया था। और तब से ही आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
हाल के दिनों की बात करे तो लगता है कि अविमुक्तेश्वरानंद काफी गुस्से में है। बीजेपी से, मोदी से और योगी से। तभी तो हर फैसले पर तंज जरूर करते है। अब योगी के दुकानों पर नेमप्लेट वाले फैसले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल खड़े कर दिए है। दरअसल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी के खाने-पीने वाले दुकानों के लिए सख्त निर्देश दिया है। इसके तहत दुकान पर नाम लिखना जरूरी है, इसके साथ ही दुकान पर सीसीटीवी और मास्क के साथ साथ ग्लव्स यूज करना अनिवार्य कर दिया है।
योगी के इस बड़े फैसले के पीछे आए दिन हो रही घटनाएं है। जिसमें हम देखते है कि कोई खाने-पीने वाली चीजों में पेशाब स्पर्म जैसी चीजें मिला देता है। अब इस फैलसे पर अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा बयान दिया है। दरअसल न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि 'योगी आदित्यनाथ ने दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश दे दिये है, लेकिन सिर्फ नाम से जाती की पहचान नहीं होगी' शंकराचार्य के इस बयान के बाद एक बार फिर ये चर्चा होने लगी कि अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी आदित्यनाथ के फैसले को गलत बताया है।
खैर ये पहली बार नहीं है। इससे पहले अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि योगी के मन में सनातन नहीं कुर्सी प्रेम है। गोध्वज स्थापना यात्रा पर निकले हैं अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार को लखनऊ में ये बयान दिया था। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के मन में सनातन का प्रेम कम है। लेकिन कुर्सी का प्रेम ज्यादा है। हालांकि उन्होंने कहा पर कवरअप भी किया और कहा कि योगी जी हमारे बहुत प्रिय हैं।
दरअसल जब 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंदिर का उद्धाटन किया तब काफी साधु-संत विरोध किया था। विरोध का सिलसिला तब ही शुरु हुआ। उसी वक्त अविमुक्तेश्वरानंद ने विरोध किया था। और कहा था कि इस मंदिर का उद्धाटन गलत समय पर हो रहा है। इसका धार्मिक महत्व से कोई लेना-देना नहीं है। हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं। बल्कि उनके प्रशंसक हैं। भारत के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री का नाम बताइए जिसने पहले भी मोदी की तरह हिंदुओं को मजबूत किया हो? हमारे कई प्रधानमंत्री रहे हैं और वे सभी अच्छे रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वह राम मंदिर में तभी पूजा-अर्चना करेंगे, जब मंदिर का शिखर पूरी तरह से बन जाएगा। जाते जाते आपको छोड़े जाते है शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के उस बयान के साथ जिसमें उन्होंने बीजेपी केो खिलाफ बयान दिया है।