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कभी Mahbooba Mufti ने दिया था Modi को चैलेंज, अब बेटी को कश्मीर की जनता ने सिखाय सबक !

जिस कश्मीर को हिंदुस्तान का ताज कहा जाता है जिस कश्मीर पर मुफ्ती के परिवार ने सालों तक राज किया उस मुफ्ती परिवार की बेटी महबूबा मुफ्ती ने कभी बयान दिया था दिल्ली में बैठी मोदी सरकार ने अगर अनुच्छेद 370 और 35 ए को हाथ भी लगाया तो कश्मीर में उस तिरंगे को कंधा देने वाला भी कोई नहीं मिलेगा
कभी Mahbooba Mufti ने दिया था Modi को चैलेंज, अब बेटी को कश्मीर की जनता ने सिखाय सबक !

जिस कश्मीर को हिंदुस्तान का ताज कहा जाता है, जिस कश्मीर पर मुफ्ती के परिवार ने सालों तक राज किया, उस मुफ्ती परिवार की बेटी महबूबा मुफ्ती ने कभी बयान दिया था कि दिल्ली में बैठी मोदी सरकार ने अगर अनुच्छेद 370 और 35 ए को हाथ भी लगाया तो कश्मीर में उस तिरंगे को कंधा देने वाला भी कोई नहीं मिलेगा।दिल्ली की सत्ता में बैठी मोदी सरकार को साल 2017 में ये चैलेंज महबूबा मुफ्ती ने दिया था, लेकिन ये बात शायद वो भूल गई थीं। ये वही मोदी हैं, जिन्होंने नब्बे के दशक में आतंकवादियों की धमकी के बावजूद जान की बाजी लगाकर कश्मीर में तिरंगा लहराया था। वो मोदी भला ऐसी धमकी से कहां डरने वाले थे। उन्होंने साल 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के साथ ही 35 ए भी हटाया और पांच साल बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव भी करवा दिया। जिसके नतीजे आते ही महबूबा मुफ्ती को एक बात जरूर समझ में आ गई होगी कि कश्मीर में तिरंगा तो आज भी शान से लहराता है, लेकिन शायद पीडीपी के झंडे को कंधा देने वाला कोई नहीं बचा है। इसीलिये 90 सीटों वाले जम्मू कश्मीर में महबूबा की पीडीपी महज तीन सीटों पर सिमट गई, तो वहीं खुद उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बुरी तरह से चुनाव हार गईं।

दरअसल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद महबूबा मुफ्ती ने तो कसम खाई थी कि जब तक 370 की बहाली नहीं होती है, वो चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में उन्होंने अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को राजनीति में उतार दिया, जिन्होंने जम्मू कश्मीर में जोर शोर से चुनाव प्रचार भी किया और इसी चुनाव प्रचार के दौरान कुछ ऐसी हरकत करती हुईं भी नजर आईं, जिसे देख कर यही कहा जा सकता है कि एक नेता को कम से कम इतना घमंडी नहीं होना चाहिए। यकीन नहीं तो देश की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ इल्तिजा मुफ्ती का ये बर्ताव देख लीजिये।

जिस मीडिया के जरिये बड़े से बड़े नेता अपनी बात जनता जनार्दन तक पहुंचाते हैं, उसी मीडिया के साथ इतना घटिया बर्ताव भला कोई नेता कैसे कर सकता है। वो भी तब जब इल्तिजा मुफ्ती जैसी नेता को कश्मीर से बाहर कोई जनता भी नहीं होगा। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मीडिया का अपमान किया, जैसे मानो पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं तो कश्मीर की बड़ी नेता बन गईं हैं। उनका ये दंभ, उनका ये अहंकार जल्द ही मिट्टी में मिल गया। कश्मीर की जनता ने ही उन्हें बुरी तरह से चुनाव हरा कर वापस घर भेज दिया। हालात ये हो गये कि जिस बिजबेहरा विधानसभा सीट से इल्तिजा मुफ्ती चुनाव लड़ रही थीं, उस सीट पर सिर्फ तीन उम्मीदवार थे। बीजेपी के सोफी यूसिफ, नेशनल कॉन्फ्रेंस के बशीर अहमद शाह वीरी और पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती। लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो।

बिजबेहरा सीट के नतीजे

  • नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवार बशीर अहमद 33299 वोट पाकर चुनाव जीत गये।
  • पीडीपी उम्मीदवार इल्तिजा मुफ्ती को 23529 वोट मिले और चुनाव हार गईं।
  • बीजेपी उम्मीदवार सोफी यूसिफ 3716 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

महबूबा मुफ्ती ने बहुत ही सोच समझ कर अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को बिजबेहरा सीट से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था, क्योंकि इस सीट पर 1999 से लगातार उनकी पार्टी पीडीपी का दबदबा रहा है। यहां तक कि खुद महबूबा मुफ्ती 1996 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं। यहां तक कि जिस अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में बिजबेहरा सीट आती है, उस अनंतनाग सीट से भी खुद महबूबा मुफ्ती दो बार सांसद रहीं और उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद एक बार सांसद रहे। लेकिन इसके बावजूद इल्तिजा मुफ्ती बिजबेहरा सीट से चुनाव हार गईं। ये हाल तब है जब उनकी मां महबूबा ने अपनी बेटी को सेफ सीट से उतारा था, फिर भी वो एक चुनाव नहीं जीत पाईं। और घमंड इतना है कि मीडिया पर भी अपना गुस्सा उतारने से बाज नहीं आती हैं। एक तरफ जहां कश्मीर की जनता ने ऐसी नेता को चुनाव हरा कर वापस भेज दिया, तो वहीं दूसरी तरफ अब्दुल्ला परिवार भी मोदी सरकार के सामने सरेंडर करता नजर आ रहा है। क्योंकि जिस अनुच्छेद 370 की बहाली के मुद्दे पर अब्दुल्ला परिवार ने चुनाव लड़ा, अब उस अनुच्छेद 370 का मुद्दा भी अब्दुल्ला परिवार ने छोड़ दिया। उन्होंने खुद कह दिया कि फिलहाल अब ये मुद्दा छोड़ रहे हैं, क्योंकि दिल्ली में बैठी जिस मोदी सरकार ने 370 हटाया है, उसी सरकार से इसे वापस नहीं ले सकते। इसीलिये उन्होंने 370 का मुद्दा छोड़ कर मोदी सरकार के साथ काम करने को तैयार हो गये हैं। 

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