25 साल बाद Pakistan का कबूलनामा, करगिल युद्ध पर कबूला सच
कारगिल में धोखे से भारत की जमीन पर कब्जा करने की नियत से पाकिस्तान ने हमला किया था ये भी साफ हो गया है। कारगिल युद्ध के 25 साल बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान ये मानने को तैयार ही नहीं था कि कारगिल में उसने घुसपैठ की थी। और ना ही ये की उसे उस युद्ध में हार का मुंह देखना पड़ा था। आज तक इस मुद्ददे पर अपना मुंह छुपाकर घूमते पाकिस्तान ने अब सब कुछ कबूल लिया है।
जिस कारगिल युद्ध में मिली करारी हार और घनघोर बेईज्जती को पाकिस्तानी नहीं मानता था अब वो पाकिस्तानी आर्मी प्रमुख ने कबूला है। और किसी के दवाब में नहीं खुद कैमरे के सामने खुल्लम खुल्ला। कारगिल में धोखे से भारत की जमीन पर कब्जा करने की नियत से Pakistan ने हमला किया था ये भी साफ हो गया है। कारगिल युद्ध के 25 साल बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान ये मानने को तैयार ही नहीं था कि कारगिल में उसने घुसपैठ की थी। और ना ही ये की उसे उस युद्ध में हार का मुंह देखना पड़ा था। आज तक इस मुद्ददे पर अपना मुंह छुपाकर घूमते पाकिस्तान ने अब सब कुछ कबूल लिया है। पाकिस्तान की सेना ने आधिकारिक रूप से पहली बार ये सच्चाई कबूल की है कि 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान की सेना की सीधी भागीदारी थी। जिसमें पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध में पाकिस्तान के कई सैनिक मारे गए थे।रक्षा दिवस के मौके पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने पहली बार आखिरकार करगिल में पाक सेना के जवानों की मौत की बात स्वीकार कर ली है। इससे पहले पाकिस्तान इसे नकारता रहा है। यही नहीं 1948, 1965, 1971 को पाकिस्तान ने कबूला है।
तो सुना आपने ये कबूलनामा जिससे साफ है कि कारगिल युद्ध जिसमें शामिल होने की बात पाकिस्तान आज तक ठुकराता रहा वो उसने मान ली है। दरअसल , पाकिस्तान शुरू से दावा करता रहा है कि करगिल युद्ध में कश्मीरी उग्रवादी शामिल थे, जिन्हें वह मुजाहिदीन बताता है। इस कारण वह करगिल युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के शवों को लेने से भी इनकार कर दिया था। पाकिस्तान के इस दावे के बाद भारत ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ पाकिस्तानी सैनिकों का अंतिम संस्कार किया था। इससे पहले, कारगिल युद्ध के दौरान पद पर रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस ऑपरेशन की खुलकर आलोचना की थी, जिसे पाकिस्तान के भीतर भीराजनीतिक आपदा और भूल करार दिया गया था।.
परवेज मुशर्रफ में माना था पाक का हाथ
साल 2006 में कारगिल युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा लिखी गई किताब ‘इन द लाइन ऑफ फायर’ में पाकिस्तानी सेना की भूमिका को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध के मैदान में नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के जवानों को भेजा था। कारगिल युद्ध खत्म होने के बाद पाकिस्तान ने सिंध रेजिमेंट की 27वीं बटालियन के कैप्टन करनाल शेर खान और नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के हवलदार लालक जान को निशान-ए-हैदर नामक सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था।