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कश्मीर पर फिर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा, जनमत संग्रह की मांग वाला प्रस्ताव पारित, भारत ने दिया करारा जवाब

पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की नाकाम कोशिश कर रहा है। पाकिस्तानी संसद ने मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत से कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग दोहराई गई है। यह कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी पाकिस्तान ने कई बार ऐसा किया है, लेकिन हर बार उसे सिर्फ नाकामी ही हाथ लगी है।
कश्मीर पर फिर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा, जनमत संग्रह की मांग वाला प्रस्ताव पारित, भारत ने दिया करारा जवाब
पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर के नाम पर अपना राजनीतिक प्रोपेगेंडा चला रहा है। मंगलवार को पाकिस्तान की संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत से जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की गई। पाकिस्तान पहले भी कई बार ऐसे प्रस्ताव पारित कर चुका है, लेकिन हर बार उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुंह की खानी पड़ी है। भारत ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है और साफ कहा है कि "जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।"
पाकिस्तान सरकार और सेना लंबे समय से कश्मीर को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करती आई है। जब भी पाकिस्तान आंतरिक संकट में होता है, वह कश्मीर का राग अलापने लगता है। वर्तमान में पाकिस्तान गंभीर आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है। देश में सरकार को लेकर विवाद, महंगाई, बेरोजगारी और आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं ने पाकिस्तान को अस्थिर कर दिया है। ऐसे में कश्मीर मुद्दे को उठाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
पाकिस्तान का नया प्रस्ताव और उसकी नीयत
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रस्ताव कश्मीर मामलों के मंत्री अमीर मुकाम द्वारा संसद में पेश किया गया। इसमें पाकिस्तान सरकार ने कश्मीरियों के लिए अपने नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन की पुष्टि की और भारत से कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की मांग की। प्रस्ताव में हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं की रिहाई और कश्मीर से कथित दमनकारी कानून हटाने की अपील भी की गई।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान खुद को कश्मीर का ठेकेदार क्यों समझता है? अगर पाकिस्तान को कश्मीर की इतनी चिंता है, तो उसने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को गुलाम क्यों बना रखा है? पाकिस्तानी सरकार वहां के नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दे पाती, लेकिन भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाना उसकी आदत बन चुकी है।
‘कश्मीर भारत का है और रहेगा’
भारत ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को एक और "खोखली और बेतुकी हरकत" करार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि "जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।" भारत ने हमेशा स्पष्ट किया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। इसके अलावा, भारतीय अधिकारियों ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान को अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए। भारत ने कई बार यह सबूत पेश किए हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI आतंकी संगठनों को पनाह दे रही है और उन्हें फंडिंग कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी कई मौकों पर कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के 1948 के प्रस्ताव में कहा गया था कि अगर कभी जनमत संग्रह होता है, तो पहले पाकिस्तान को अपनी सेना कश्मीर से हटानी होगी। लेकिन आज तक पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान खुद अपने ही किए गए समझौते का पालन नहीं कर रहा है।
पाकिस्तान की अलग-थलग स्थिति
आज की वैश्विक राजनीति में पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुका है। कश्मीर मुद्दे पर उसे अब किसी भी बड़े देश का समर्थन नहीं मिलता। अमेरिका ने साफ कहा है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। रूस हमेशा से भारत का समर्थन करता आया है और उसने भी पाकिस्तान की इस चाल को खारिज कर दिया है। सऊदी अरब और UAE जैसे मुस्लिम देशों ने भी अब पाकिस्तान की बजाय भारत के साथ मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्ते बनाने शुरू कर दिए हैं। चीन भले ही पाकिस्तान का दोस्त माना जाता है, लेकिन उसने भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर कुछ नहीं कहा।
यानी पाकिस्तान अकेला खड़ा होकर कश्मीर पर रोने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा। न तो उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है और न ही भारत पर कोई दबाव बना पा रहा है।
पाकिस्तान लगातार कश्मीर को हथियार बनाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश करता आया है, लेकिन हर बार नाकाम रहा है। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान हकीकत को स्वीकार करे और अपनी नीतियों में बदलाव लाए। भारत के खिलाफ झूठा प्रचार करने की बजाय, उसे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने, आतंकवाद खत्म करने और राजनीतिक स्थिरता लाने पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान की संसद में पारित यह प्रस्ताव महज एक राजनीतिक ड्रामा है। पाकिस्तान को अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर कार्ड खेलना बंद करना चाहिए 
भारत ने हर बार साफ कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान की यह चाल बुरी तरह फेल हो गई है। अब सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान अपनी नाकामी से कुछ सीखेगा या फिर बार-बार ऐसे फालतू प्रस्ताव लाकर खुद की बेइज्जती करवाएगा?
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