तालिबान के साथ पाकिस्तान ने बिगाड़े रिश्ते, अब सर पकड़ कर बैठे Shehbaz Sharif
ऐसा लग रहा है कि बॉर्डर विवाद में पाकिस्तान की सेना आग से खेलने का प्रयास कर रही है। कहीं ऐसा न हो कि तालिबान के आठ जवानों के बदले उन्हें बॉर्डर पर 80 जवान गंवाने पड़ें। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ लंबे समय से सीमा विवाद में उलझे हैं। बीच-बीच में बॉर्डर पर दोनों सेनाओं में इक्का-दुक्का हिंसक घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब तालिबान ने इतनी बड़ी संख्या में अपने जवानों को पाकिस्तान के साथ झड़प के दौरान खोया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड सीमा को तालिबान नहीं मानता। अफगानिस्तान का मानना है कि यह रेखा जानबूझकर ब्रिटिश अफसरों ने खींची थी ताकि पश्तो समुदाय का बंटवारा किया जा सके, और यही सीमा विवाद जंग की ओर आगे ले जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान शासन डूरंड लाइन को मान्यता देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोबारा सत्ता में आने के बाद तालिबान ने पुरानी सरकार के रुख पर कायम रहते हुए सीमावर्ती इलाकों पर अपना दावा ठोक दिया। इसके अलावा, तालिबान सरकार ने इन इलाकों में नई चौकियों को तैयार करना शुरू कर दिया।
इस बीच, ब्रिटेन दौरे पर गए पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री ने इस हालत का जिम्मेदार इमरान खान को बताया है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इशाक डार ने कहा कि -
इमरान सरकार ने तालिबान का समर्थन करने और अशरफ गनी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कई ऐसे आतंकियों को रिहा कर दिया जो आज देश के लिए मुसीबत बन चुके हैं। ये आतंकी ही बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बना रहे हैं।
इसी के साथ डार ने लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना नाम लिए एक तीन सितारा जनरल का जिक्र भी किया। डिप्टी पीएम ने कहा कि एक कप चाय पीने के लिए काबुल गए एक थ्री-स्टार जनरल के फैसलों ने देश को काफी नुकसान पहुंचाया है। हम उस एक कप चाय की कीमत चुका रहे हैं। आपको बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक तब जनरल हमीद काबुल दौरे पर गए थे। उन्हें एक वीडियो में चाय पीते हुए देखा गया था। पत्रकार के सवाल पूछने पर उन्होंने कहा था कि 'सब ठीक हो जाएगा।' अब इससे यही समझ आता है कि पाकिस्तान जो खुद आतंकपरस्त देश है और आतंकियों को पालता है, वहां के प्रधानमंत्री अफगानिस्तान से छोटी-मोटी झड़प में सर पकड़कर बैठे हैं। महंगाई, देश टूटने का खतरा और अब तालिबान ने पाकिस्तान की हालत पतली कर दी है। इन सबके बीच पाकिस्तान का वजूद अब बच पाएगा?