जहर उगलने वाले बिलावल भुट्टो ने भारत से दोस्ती का राग अलापा | क्या पाकिस्तान की अकड़ टूट गई?
पाकिस्तान और भारत के संबंधों में हाल के वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं, खासकर पुलवामा हमले और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद। लेकिन अब, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय दबावों ने पाकिस्तान की स्थिति को बदल दिया है। पहले भारत के खिलाफ कड़ी बयानबाजी करने वाले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने अब भारत से दोस्ती की जरूरत पर जोर दिया है।
भारत के साथ तनाव के मुख्य कारण
पाकिस्तान का भारत के साथ लंबे समय से चला आ रहा तनाव कई घटनाओं का परिणाम है। इनमें प्रमुख है 2019 का पुलवामा हमला, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान से विशेष व्यापारिक दर्जा वापस ले लिया और 200% आयात शुल्क लगा दिया। इस घटना के बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को भी हटा दिया, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध और भी बिगड़ गए। पाकिस्तान ने व्यापारिक संबंधों को पूरी तरह समाप्त कर दिया, जिसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर साफ दिखा।
पाकिस्तान की आर्थिक कमजोरी
आज पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उसकी इकोनॉमी विदेशी कर्ज़ और मदद पर निर्भर है, जबकि महंगाई और बेरोजगारी ने आम जनता को त्रस्त कर रखा है। व्यापार रुकने से पाकिस्तानी उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है, खासकर दवा, कृषि और उपभोक्ता वस्त्रों में। पाकिस्तान के व्यापारिक समुदाय ने हमेशा भारत से व्यापार शुरू करने की वकालत की है, क्योंकि वे इससे पाकिस्तान को लाभ होते देखते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्व बैंक ने 2018 में यह अनुमान लगाया था कि अगर भारत के साथ व्यापार पूरी क्षमता तक पहुंचता है, तो पाकिस्तान के निर्यात में 80% तक की वृद्धि हो सकती है। यही कारण है कि आज पाकिस्तानी अधिकारी भारत के साथ व्यापार को बहाल करने की बातें कर रहे हैं।
बिलावल का बदला रुख
एक समय पर भारत के खिलाफ ज़हर उगलने वाले बिलावल भुट्टो ने हाल ही में भारत से दोस्ती की बात की है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान की आर्थिक संकट है। पाकिस्तान के पास हार्ड कैश की कमी है, और भारत जैसे बड़े बाजार से व्यापारिक संबंध बहाल करना उसकी जरूरत बन गया है। हालांकि, पाकिस्तानी सेना और सरकार के कट्टरपंथी तबके इस विचार को उतनी सहजता से नहीं ले रहे, क्योंकि वे भारत को अब भी एक दुश्मन के रूप में देखते हैं।
कूटनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियाँ
आर्थिक चुनौतियों के अलावा, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अलग-थलग पड़ा है। अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के साथ संबंध खराब हो चुके हैं, और ईरान के साथ भी उसके सीमा विवाद बढ़ रहे हैं। इसी बीच, भारत ने अपनी कूटनीति को मजबूत करते हुए अमेरिका, रूस और चीन जैसी बड़ी शक्तियों के साथ अपने संबंधों को बेहतर किया है। पाकिस्तान की विदेश नीति कमजोर पड़ रही है, और भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
सांस्कृतिक संबंधों पर असर
भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंध भी कई दशक से बंद हैं। पाकिस्तानी कलाकार भारतीय फिल्मों में काम करने से वंचित हो गए हैं, और इसके विपरीत, पाकिस्तान ने भारतीय फिल्मों पर अपने देश में प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इस निर्णय का भी पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि पाकिस्तानी फिल्म उद्योग का 70% राजस्व भारतीय फिल्मों से आता था।
पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह तय है कि भारत के साथ संबंध सुधारने की उसकी कोशिशें जारी रहेंगी। भारत के साथ व्यापार संबंधों को फिर से स्थापित करना पाकिस्तान के लिए न केवल आर्थिक संकट से उबरने का एक तरीका हो सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उसे नए अवसर दिला सकता है।