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1992 के दंगों में शामिल होना गलती थी, माफ़ी मांगता हूं, ठाकरे की वायरल ख़बर का सच क्या है ?

उद्धव ठाकरे ने 1992 के दंगों में शामिल होने को गलती मानी और इसके लिए मुस्लिमों से माफ़ी मांगी है, ऐसR ख़बर सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है, एक पेपर की कटिंग के आधार पर ऐसा दावा किया जा रहा, विस्तार से जानिए क्या है पूरी सच्चाई
1992 के दंगों में शामिल होना गलती थी, माफ़ी मांगता हूं, ठाकरे की वायरल ख़बर का सच क्या है ?
6 दिसंबर 1992, अयोध्या में विवादित ढांचे के गुंबद को ध्वस्त कर दिया गया था, देश भर से लाखों कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे, तब हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे ने विवादित ढांचे के गिराने जाने पर कहा था। उसे गिराने में हाथ नहीं, पैर था।

हिंदू हृदय सम्राट बाल साहब ठाकरे के इस बयान का ज़िक्र समय समय पर होता रहता है, लेकिन आज जब एक ख़बर उद्धव ठाकरे के बारे में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है तो तमाम सवाल उठ रहें हैं, दरअसल ख़बर में दावा किया जा रहा है कि, "मुस्लिम नेताओं के साथ हुई बैठक में उद्धव ठाकरे ने 1992 के दंगों में शामिल होने के लिए माफी मांगी है, इस बैठक में मुस्लिम बोर्ड के सज्जाद नोमानी,  मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, आसिफ शेख, फारूक शाह और अन्य मुस्लिम नेता मौजूद थे"


एक पेपर की कटिंग के आधार पर ये दावा लगातार किया जा रहा है, जिसके बाद तमाम सवाल उठ रहें हैं कि, क्या मुस्लिम वोट के लिए ठाकरे ने माफ़ी मांगी ?

एक सोशल मीडिया यूज़र ने पेपर की कटिंग को शेयर किया, जिसकी हेडलाइन है- 1992 के दंगों में शामिल होना गलती थी, माफ़ करो: उद्धव ठाकरे (पेपर की हेडिंग हाइलाइट करना), इसके साथ ही यूज़र ने लिखा, कल तक जो शेखी बघार रहे थे कि 1992 के दंगों से मुंबई को शिवसेना ने बचाया, उसी दंगो के लिए आज उद्धव ठाकरे मुस्लिम समाज से माफ़ी मांगते हुए दिख रहे है।

दरअसल, मुंबई में दिसंबर 1992 से जनवरी 1993 के बीच सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें करीब 900 लोगों की जान गई थी, दावा किया जा रहा है कि, इन्हीं दंगों के लिए ठाकरे ने माफ़ी मांगी, लेकिन सच्चाई क्या है ये जानना बेहद जरुरी है, इसके लिए हमने  फैक्ट चेक किया, जहां पता चला कि, राष्ट्रीय उजाला नाम के अखबार ने ऐसी कोई खबर नहीं छापी है न हींग उद्धव ठाकरे ने दबी कोई ऐसा बयान दिया ।

दैनिक राष्ट्रीय उजाला ने ख़ुद इस ख़बर का खंडन करते हुए सूचना देते हुए बताया है कि, सभी को सूचित किया जाता है कि कुछ फेक न्यूज़ क्लिपिंग्स सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय उजाला समाचार पत्र के नाम से प्रसारित की जा रही हैं, यह स्पष्ट किया जाता है कि रिपोर्टर्स प्रणव डोगरा और अंकित पाठक का हमारे समाचार पत्र से कोई संबंध नहीं है, कृपया ऐसी भ्रामक खबरों पर ध्यान न दें और इनकी जानकारी मिलने पर तुरंत हमें सूचित करें, राष्ट्रीय उजाला सत्यता और पत्रकारिता की उच्चतम मान्यताओं का पालन करता है, धन्यवाद।

अब जब दैनिक राष्ट्रीय उजाला ने ही ख़बर को ग़लत बता दिया तो इससे साफ़ हो गया कि, फेक न्यूज़ फैलाई गई, राष्ट्रीय उजाला नाम के अखबार ने न ऐसी कोई खबर छापी, न ही उद्धव ठाकरे ने ऐसा कोई बयान दिया।






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