LAC पर भारत-चीन सैनिकों की पेट्रोलिंग 72 घंटे में होगी शुरू, जानें क्या होगा अगला कदम?
भारत-चीन सीमा (LAC) पर स्थिति एक बार फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि अगले 72 घंटों में दोनों देशों के सैनिकों की पेट्रोलिंग शुरू होने वाली है। यह घटना विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नई दिशा को इंगित करती है। आइए, इस विषय पर गहराई से चर्चा करते हैं।
लद्दाख में स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने जा रहा है। आने वाले 72 घंटों के भीतर, दोनों देशों के सैनिकों की पेट्रोलिंग शुरू होने जा रही है। यह कदम देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में चल रही डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के फाइनल फेज में लिया जा रहा है। भारतीय और चीनी सैन्य अधिकारी इस प्रक्रिया को एक स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं।
भारत-चीन तनाव: क्या है डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया?
भारत और चीन के बीच LAC पर पिछले कुछ वर्षों से लगातार विवाद चल रहा है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ा है। इसके बाद से ही देपसांग और डेमचोक में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। डिसइंगेजमेंट का मतलब है कि दोनों देशों की सेनाएं उस इलाके से पीछे हटेंगी, जहां पर वे आमने-सामने थीं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य विवादित क्षेत्रों में शांति स्थापित करना और दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल करना है।
डेमचोक और देपसांग के क्या हैं रणनीतिक महत्व?
डेमचोक और देपसांग क्षेत्र लद्दाख के उत्तरी हिस्से में स्थित हैं और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। देपसांग में स्थित दारबुक-श्योक-डीबीओ रोड भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण सप्लाई लाइन है। इस क्षेत्र में चीनी सेना की गतिविधियां भारतीय सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चुनौती रही हैं। डेमचोक, जो कि एक ट्रेडिंग पोस्ट के रूप में भी जाना जाता है, चीन के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। इस इलाके में शांति स्थापित होने से दोनों देशों के बीच व्यापार और संबंधों में सुधार की संभावना है।
यह फाइनल फेज डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों की सेनाओं ने धीरे-धीरे विवादित इलाकों से अपनी तैनाती कम की है। अब, फाइनल फेज के तहत दोनों सेनाएं LAC पर नियमित पेट्रोलिंग करेंगी, जिससे दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ेगा और LAC की स्थिरता में सुधार होगा। हालांकि डिसइंगेजमेंट का फाइनल फेज एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी के चलते, इस प्रक्रिया को पूरा करना आसान नहीं होगा। भारतीय सेना और चीन की PLA के बीच कई मुद्दों पर अभी भी मतभेद हैं, जिनका समाधान बातचीत से ही संभव है।
सैनिकों की पेट्रोलिंग, क्या होगा अगला कदम?
अगले 72 घंटों में, भारत और चीन के सैनिक LAC के अलग-अलग सेक्टर्स में पेट्रोलिंग करेंगे। इस पेट्रोलिंग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दोनों सेनाएं अपने-अपने क्षेत्रों में ही रहें और किसी भी तरह की उकसावे वाली गतिविधियों से बचें। पेट्रोलिंग की इस प्रक्रिया को मॉनिटर करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का एक संयुक्त दल भी उपस्थित रहेगा।
भारत और चीन के बीच बातचीत का नया दौर
डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत और चीन के बीच कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। इस बार दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ अधिक खुलापन और पारदर्शिता दिखाई है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और भारतीय सेना के बीच हाल ही में उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें इस डिसइंगेजमेंट के फाइनल फेज पर सहमति बनी। इस बैठक के बाद, दोनों देशों ने डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए एक संयुक्त बयान भी जारी किया।
भारत का सख्त रुख और चीन की नीति
भारत ने हमेशा LAC पर चीन के किसी भी आक्रामक कदम का कड़ा जवाब दिया है। भारतीय सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं करेगी। दूसरी ओर, चीन की ओर से भी अपनी सैन्य रणनीति में कई बदलाव किए गए हैं। चीन ने हाल ही में सीमा पर अपनी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जो इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का संकेत हैं।
अगर यह डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया सफल रहती है, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। सबसे पहला और महत्वपूर्ण परिणाम यह होगा कि LAC पर तनाव में कमी आएगी, जिससे दोनों देशों के बीच बेहतर आर्थिक और व्यापारिक संबंधों की संभावना बढ़ेगी। इसके अलावा, यह भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाएगा।