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PM मोदी और तुलसी गबार्ड बैठक, गंगा जल से लेकर खालिस्तानी मुद्दे तक, जानें हर अहम पहलू

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जहां पीएम मोदी ने उन्हें महाकुंभ का पवित्र गंगाजल भेंट किया। इस दौरान मोदी ने उन्हें महाकुंभ के महत्व और उसमें शामिल करोड़ों श्रद्धालुओं के बारे में बताया। वहीं, गबार्ड ने प्रधानमंत्री को तुलसी की माला भेंट की।
PM मोदी और तुलसी गबार्ड बैठक, गंगा जल से लेकर खालिस्तानी मुद्दे तक, जानें हर अहम पहलू
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) तुलसी गबार्ड और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि इसमें भारतीय संस्कृति, कूटनीति और सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हुई। सबसे खास बात यह रही कि पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को प्रयागराज के महाकुंभ का पवित्र जल भेंट किया, जबकि गबार्ड ने प्रधानमंत्री को एक 'तुलसी माला' भेंट की। इस घटना ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई गर्मजोशी ला दी है।

महाकुंभ का पवित्र जल, भारतीय सांस्कृतिक विरासत की सौगात

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसी गबार्ड को महाकुंभ का पवित्र जल सौंपा, तो यह सिर्फ एक उपहार नहीं था, बल्कि भारत की गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक था। महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में एक बार प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। इस बार, 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में डुबकी लगाई, और स्वयं पीएम मोदी ने भी त्रिवेणी संगम में स्नान किया। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का यह पवित्र जल भारतीय संस्कृति का एक अनमोल प्रतीक है, जिसे पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को भेंट किया।

तुलसी गबार्ड ने भेंट की 'तुलसी माला'

इसके जवाब में, अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'तुलसी माला' भेंट की। तुलसी, भारतीय संस्कृति में न केवल एक पवित्र पौधा माना जाता है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व भी है। यह माला प्रधानमंत्री को देने का अर्थ भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान प्रकट करना था।

तुलसी गबार्ड स्वयं हिंदू धर्म से गहरी प्रेरणा लेने वाली अमेरिकी नेता हैं। वह कई मौकों पर भगवद गीता का पाठ करती रही हैं और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी विशेष रुचि है। उनकी यह भेंट भारत-अमेरिका के सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करने का प्रतीक बनी।

खालिस्तानी गतिविधियों पर भारत की चिंता

तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा केवल सांस्कृतिक सौहार्द तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और द्विपक्षीय सहयोग पर भी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। गबार्ड ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की, जहां भारत ने अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी चरमपंथियों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। सिख फॉर जस्टिस (SFJ) जैसे संगठन, जिन्हें भारत में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित किया गया है, अमेरिका में सक्रिय हैं। राजनाथ सिंह ने अमेरिका से इन संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

सूत्रों के मुताबिक, भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, और अमेरिका को इस मामले में ठोस कदम उठाने चाहिए।

तुलसी गबार्ड की अजीत डोभाल से मुलाकात

तुलसी गबार्ड ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक सहयोग पर चर्चा हुई। भारत और अमेरिका पहले से ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन की बढ़ती आक्रामकता और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर, भारत और अमेरिका के बीच खुफिया साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

तुलसी गबार्ड की हिंद-प्रशांत यात्रा
तुलसी गबार्ड इस समय हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बहु-राष्ट्रीय दौरे पर हैं। उनकी इस यात्रा में जापान, थाईलैंड और भारत शामिल हैं, जबकि वापसी के दौरान वे फ्रांस में भी रुकेंगी। भारत, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अहम रणनीतिक साझेदारों में से एक है। अमेरिका के लिए, भारत की बढ़ती भूमिका चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकती है। वैसे आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड की यह मुलाकात न केवल राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही, बल्कि इसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने भी खास भूमिका निभाई।

महाकुंभ का पवित्र जल और तुलसी माला का आदान-प्रदान यह दर्शाता है कि भारत और अमेरिका के संबंध केवल राजनीतिक हितों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव भी मजबूत है। खालिस्तानी मुद्दे पर भारत की सख्त चेतावनी अमेरिका के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वह भारत विरोधी तत्वों पर कार्रवाई करे। राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग पर हुई चर्चा भविष्य में भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर सकती है।

इस मुलाकात को केवल औपचारिक बैठक कहना सही नहीं होगा, क्योंकि इसमें राजनीति, सुरक्षा, कूटनीति और संस्कृति—चारों प्रमुख पहलुओं का समावेश रहा। पीएम मोदी का महाकुंभ जल भेंट करना, गबार्ड का तुलसी माला देना, और खालिस्तानी गतिविधियों पर चर्चा, इन सबने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत-अमेरिका संबंधों में यह मुलाकात कितनी दूरगामी असर डालती है और क्या अमेरिका भारत की सुरक्षा चिंताओं पर ठोस कदम उठाता है या नहीं! 
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