पूजा खेडकर की IAS सेवाएं समाप्त, नियमों के उल्लंघन पर केंद्र सरकार की कड़ी कार्रवाई
केंद्र सरकार ने हाल ही में पूर्व प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से बर्खास्त कर दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपने चयन को सुनिश्चित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और विकलांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाया। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है बल्कि सवाल भी खड़े कर दिए हैं कि कैसे एक प्रशिक्षु अधिकारी ने नियमों की धज्जियां उड़ाई।
कौन हैं पूजा खेडकर?
पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की एक प्रशिक्षु IAS अधिकारी थीं, जिन्हें 2022 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा के बाद इस प्रतिष्ठित सेवा में चुना गया था। पूजा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही एक कुशल और प्रभावी अधिकारी के रूप में पहचान बनाई थी। लेकिन अब उन पर लगे आरोपों के चलते उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा है।
पूजा खेडकर पर मुख्य आरोप है कि उन्होंने अपने IAS चयन को सुनिश्चित करने के लिए OBC और विकलांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाया। आरोप है कि पूजा ने अपने आवेदन में झूठी जानकारी दी और आरक्षण के फायदे उठाए, जिसके चलते उन्हें चयन प्रक्रिया में फायदा मिला। सरकार के अनुसार, पूजा खेडकर ने जानबूझकर विकलांगता का प्रमाणपत्र पेश किया, जो कि जाली और मनगढ़ंत हो सकता है। पुलिस ने इस प्रमाणपत्र को संदिग्ध मानते हुए इसे कोर्ट में चुनौती दी थी।
केंद्र सरकार की कार्रवाई
केंद्र सरकार ने 6 सितंबर, 2024 को जारी आदेश के तहत पूजा खेडकर को IAS (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया। नियम 12 के अनुसार, केंद्र सरकार किसी भी प्रशिक्षु अधिकारी को सेवा से हटा सकती है यदि वह सेवा के लिए अनुपयुक्त पाया जाता है या फिर वह दोबारा परीक्षा में विफल हो जाता है।
इस मामले में, UPSC ने भी 31 जुलाई को पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी वंचित कर दिया। UPSC का मानना था कि पूजा का आचरण सेवा में भर्ती के लिए अनुपयुक्त था। हालांकि पूजा खेडकर ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद हैं। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपील की कि वे एम्स (AIIMS) में अपनी चिकित्सीय जांच कराने के लिए तैयार हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उनका विकलांगता प्रमाणपत्र असली है। पूजा का दावा है कि यह सारा मामला उनके खिलाफ एक साजिश है और उन्हें बिना वजह फंसाया जा रहा है।
केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि वह किसी भी अधिकारी द्वारा नियमों के उल्लंघन को सहन नहीं करेगी। यह घटना सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार और झूठी जानकारी देने के मामलों में रोक लगाने के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।