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मुस्लिम समाज में सामाजिक न्याय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण के दौरान कहा कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय में जातियों के बारे में बात नहीं करना चाहती है। वे मुसलमानों को वोट बैंक में बदलने के लिए उन्हें डर में रखती है। इसके अलावा पीएम मोदी ने कई महत्वपूर्ण बातें रखी है। जिस पर लेखक डॉ० फैयाज अहमद फैजी ने अपनी बातें रखी है।
मुस्लिम समाज में सामाजिक न्याय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास
हरियाणा में भाजपा की शानदार जीत के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण के दौरान कहा कि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय में जातियों के बारे में बात नहीं करना चाहती है। वे मुसलमानों को वोट बैंक में बदलने के लिए उन्हें डर में रखती है, और मुस्लिम समाज में सामाजिक न्याय के प्रश्न से मुंह मोड़े मुस्लिम समुदाय के भीतर विद्यमान विभिन्न जातियों की अनदेखी करती रही है। मोदी जी ने एक वर्चुअल रैली के दौरान यह बात कही, जहां उन्होंने महाराष्ट्र में ₹7,600 करोड़ से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं की नींव रखी।उन्होंने  मुस्लिम समाज को एक इकाई और समरुप समाज मानने की कांग्रेस की नीति की कड़ी आलोचना करते हुऐ मुस्लिम समाज मे सामाजिक न्याय की समस्या की तरफ ध्यान खींचा ।

यह पहला अवसर नहीं है जब उन्होंने मुस्लिम समाज में  सामाजिक न्याय की बात को उजागर किया है इस विषय पर मोदी जी लगातार सन 2017 से ही अपनी विभिन्न सभाओ में, पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलनो में, अपने आधिकारिक और व्यक्तिगत सम्बोधनों में कार्यकर्ताओ, देशवासियो, बुद्धिजीवियों एवं मीडियाजनो का ध्यान आकर्षित करवाया है।जबकि इस विषय पर कांग्रेस का रुख लगभग नकारात्मक ही रहा है। यह विडंबना ही है कि राहुल गांधी ने अपने दोनों भारत यात्राओं मे जहाँ सभी मुद्दों पर बात की वही पासमंदा मुद्दे को अछूत ही रखा और इस विषय पर बात तक करना गवारा ना समझा।

देशज पसमान्दा समाज के लिए मोदी जी का उदभव एक सुखद अनुभूति की तरह है। उन्होंने सेकुरिज्म के अवधारणा की अछरश: पालन करते हुए देशज पसमान्दा को उसके समाजिक, आर्थिक आधार पर समझने बुझेने का प्रयास किया। मोदी जी ने देशज पसमान्दा को भारत का वंचित समाज समझकर उनको अपने सरकार के लोकहित योजनाओ का भागी बनाया और सुनिश्चित किया कि अंतिम देशज पसमान्दा व्यक्ति तक उसका लाभ पहुंचे। उन्होंने धार्मिक नही बल्कि समाजिक आधार पर देशज पसमान्दा को भारत का नागरिक समझकर व्यवहार करना शुरू किया। अब तक मुसलमानों के मजहबी पहचान पर आधारित भारतीय राजनीति में मुसलमानों को लेकर चली आ रही नीति के बिल्कुल उलट है।

यह एक विडम्बना ही है कि जो लोग (नेहरूजी, इन्दिरा जी, राजीव जी, सोनिया जी, राहुल जी ) भारत और पूरे विश्व में अपने सेकुलर मुल्यो के लिए विख्यात है। उन्होंने अशराफ मुस्लिम तुष्टिकरण में देशज पसमान्दा समाज की घोर उपेक्षा किया। जो व्यक्ति (मोदी जी) भारत और विश्व में गैर सेकुलर के रूप में लिबरल, सेक्युलर, कम्युनिष्टो द्वारा गलत प्रचारित किये जाते थे, उन्होंने देशज पसमान्दा के उत्थान का बीड़ा उनके धार्मिक नहीं अपितु समाजिक और सेक्युलर पहचान के आधार पर लागतार उठा रहें हैं।उनके देशज पसमान्दा हितैषी कार्यों में मुख्य रूप से ऐतिहासिक क़दम धारा 370 का कश्मीर से उन्मुलन था । धारा 370 के हटने से जम्मू कश्मीर का पसमान्दा समाज तेजी से मुख्य धारा में जुड़ रहा है। उसको संविधान प्रदत्त आरक्षण का फायदा धारा 370 समाप्त होने के बाद से मिलना प्रारम्भ हुआ है। जम्मू कश्मीर का पसमान्दा अब भातर के बाकी पसमान्दाओं की तरह आरक्षण की सुविधा से आगे बढ़ रहा है।

तीन तलाक को अवैध घोषित करके उन्होने मध्ययुगीन पृत सत्तात्मक, महिला विरोधी आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का शिकन्जा देशज पसमान्दा महिलाओ के ऊपर से हटाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह एक विडम्बना ही है कि महिला होकर भी इन्दिरा जी ने तीन तलाक जैसी महिला विरोधी कृत्य को बैन करने का कोई प्रयास नही किया इसके उल्ट उन्होने ने महिला विरोधी मानसिकता वाले आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को मुस्लिम मामलो में प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया जिससे देशज पसमांदा समाज बुरी तरह प्रभावित हुआ जिसकी संख्या कुल मुस्लिम जनसंख्या का लगभग 90% है। जैसा कि यह विदित है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में पसमांदा समाज की समुचित भागेदारी नहीं है।
राजीव गांधी ने तो इस मसले पर अशराफ तुस्टीकरण की हद पार करते हुये महिला विरोधी तीन तलाक़ के हित मे संसद से कानून ही बनवा डाला।

नेहरू जी को कश्मीर और मुस्लिम धर्मावलंबी दलितो के आरक्षण की समस्या को उलझाने के लिए याद किया जायेगा वही मोदी जी ने धारा 370 हटाकर कश्मीर समस्या का अन्त कर दिया और अब मुस्लिम धर्मावलंबी दलितो के आरक्षण की समस्या भी समाधान की बाट जो रहा है। युनिफार्म सिविल कोड के लिए मोदी जी की प्रतिबद्‌धता जग जाहिर है। अपने दूसरे कार्यकाल के अन्तिम शीतकालीन अधिवेशन के समापन पर उन्होंने स्वयं कहा था कि मोदी सरकार का तीसरे कार्यकाल में बड़े और एतिहासिक फैसले लिये जायेगे। उत्तराखण्ड की सरकार ने युनिफार्म सिविल कोड लागू का दिया है। ऐसी आशा है कि यह पूरे भारतवर्ष में जल्द ही लागू होगा । तदउपरान्त समस्याओं को धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि समाजिक आधार पर देखा जायेगा। 

UCC लगने से दलित आरक्षण पर लगी पाबन्दी स्वतः निर्मूल हो जायेगी, ऐसा देशज पसमान्दा समाज आशा करता है। साधारण भाषा में UCC का अभिप्राय परिवारिक मामलो में संविधान लागु करना है। जैसे जीवन के अन्य क्षेत्रों में संविधान लागू होने से पसमान्दा समाज का भला हुआ है उसी प्रकार UCC लागू होने  से पसमान्दा का भला ही होगा ।ऐसा प्रतीत होता है कि क्राँगेस के शीर्ष नेतृत्व में मुस्लिम समाज की कुरितियो, जातिगत  भेदभाव, सम्प्रदायिकता के निर्मुलन की कोई भी योजना अब तक दृष्टिगोचर नहीं है। इसके विपरीत मोदी जी ने इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट किया है, जिसे देशज पसमान्दा समाज बहुत ही सकारात्मकता से ले रहा है।

लेखक - डॉ० फैयाज अहमद फैजी
(डॉ० फैयाज अहमद फैजी लेखक,अनुवादक, स्तंभकार, मीडिया पैनलिस्ट पसमांदा सामाजिक कार्यकर्ता एवं पेशे से चिकित्सक हैं, ये लेख उनके निज़ी विचार हैं। )
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