पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संयोजक पद छोड़ने की जताई इच्छा, जानें इसके पीछे की वजह
जाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब संयोजक पद से हटने की इच्छा व्यक्त की है। इस खबर ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। मान का यह बयान तब आया जब राज्य में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इस लेख में हम इस मुद्दे को गहराई से समझेंगे और जानेंगे कि भगवंत मान के इस कदम के पीछे क्या वजह हैं।
भगवंत मान का राजनीतिक सफर
भगवंत मान का सफर पंजाब की राजनीति में अद्वितीय रहा है। 31 जनवरी 2019 को उन्हें आम आदमी पार्टी के पंजाब इकाई का संयोजक नियुक्त किया गया। इससे पहले वह एक सफल कॉमेडियन रहे हैं, जो अपनी बुद्धिमत्ता और हास्य से लोगों के दिलों में जगह बना चुके थे। मान ने 2022 में विधानसभा चुनाव में पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री का पद संभाला। इस दौरान उन्होंने संयोजक पद पर भी बने रहने का निर्णय लिया, जबकि अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली में इसी तरह की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे।
इस्तीफे की पेशकश का कारण
भगवंत मान ने कहा कि वह दोनों पदों पर जिम्मेदारियों का बोझ नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे चाहते हैं कि कोई और पार्टी के संयोजक के रूप में काम करे ताकि वह पूरी तरह से सरकार पर ध्यान केंद्रित कर सकें। उनका यह बयान दर्शाता है कि वे राज्य के विकास और जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
पंजाब में 13 नवंबर को चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, डेरा बाबा नानक, गिद्दरबाहा, बरनाला और चब्बेवाल। भगवंत मान इन दिनों इन चुनावों के प्रचार में जुटे हुए हैं। इन उपचुनावों की मतगणना के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस समय तक राजनीतिक दलों की सारी तैयारियों का अंतिम परिणाम सामने आ जाएगा। हाल ही में उन्होंने चब्बेवाल सीट पर इशान चब्बेवाल के समर्थन में प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इशान चब्बेवाल को भारी मतों से जिताएं। मान ने कहा, “हम आपके क्षेत्र की समस्याओं को जानते हैं और प्राथमिकता के आधार पर उन्हें हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पार्टी की प्राथमिकताएं
भगवंत मान का मानना है कि जब वह सरकार की जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाएंगे, तो इससे पार्टी के लिए बेहतर होगा। यह स्थिति उस समय आई है जब पंजाब में कांग्रेस और भाजपा जैसे अन्य राजनीतिक दल भी सक्रिय हैं। ऐसे में मान का यह कदम आप पार्टी के लिए चुनावी रणनीति में मददगार साबित हो सकता है।
पंजाब की राजनीतिक स्थिति को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यहां की चार विधानसभा सीटें पिछले चुनावों में अहम साबित हुई थीं। सुखजिंदर सिंह रंधावा, राज कुमार चब्बेवाल, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, और गुरमीत सिंह मीत के सांसद निर्वाचित होने के बाद ये सीटें रिक्त हुई थीं। चब्बेवाल सीट पर आप ने सांसद राज कुमार चब्बेवाल के बेटे ईशान चब्बेवाल को टिकट दिया है।
भगवंत मान की तैयारी
भगवंत मान ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने और चुनावों में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग मिलकर काम करेंगे तो पार्टी को सफलता मिलेगी। उनका यह बयान यह संकेत करता है कि वे चुनावी तैयारियों को लेकर गंभीर हैं और चाहते हैं कि पार्टी एकजुट होकर आगे बढ़े।
भगवंत मान का संयोजक पद छोड़ने की इच्छा जताना न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे राज्य के विकास को अपनी प्राथमिकता मानते हैं। आगामी उपचुनावों में उनकी सक्रियता और पार्टी के लिए नया नेतृत्व सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी योजना के अनुसार काम कर पाते हैं या नहीं, और क्या उनकी यह रणनीति चुनावों में सफल होगी।