आरक्षण विरोधी है Rahul Gandhi, दलितों की नेता Mayawati ने दिया एक और ‘सबूत’
मोदी सरकार को आरक्षण विरोधी बताकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों तक पहुंच गई। और यही पैंतरा आने वाले विधानसभा चुनावों में भी अपनाना चाहती है। लेकिन अमेरिका से आए राहुल गांधी के एक बयान ने कांग्रेस के सारे किए-धरे पर पानी फेर दिया। क्योंकि जिस कांग्रेस ने मोदी सरकार को आरक्षण विरोधी बताने का नैरेटिव सेट किया था, उसी कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने खुद बयान दे दिया कि:
"जब कभी भारत निष्पक्ष स्थिति में होगा तब हमारी पार्टी आरक्षण खत्म करने पर विचार कर सकती है।"
राहुल गांधी के इस बयान के बाद दलित समाज की सबसे बड़ी नेता और यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती बुरी तरह भड़क गईं। उन्होंने राहुल गांधी को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि:
"केंद्र में काफी लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और देश में जातीय जनगणना नहीं कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें, जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी। अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के इस नाटक से भी सतर्क रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहतर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इन आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र में लगी है। इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केंद्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान और आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें।"
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जब आरक्षण खत्म करने वाले बयान को लेकर कांग्रेस को घेरना शुरू किया, तो राहुल गांधी सफाई देने लगे कि उनके बयान को गलत तरीके से दिखाया गया है। कांग्रेस पार्टी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा करेगी, वह आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। हम तो सभी की भागीदारी के लिए राजनीति कर रहे हैं। राहुल गांधी की इस सफाई पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती और भड़क गईं और इस बार कांग्रेस की कुंडली खोलते हुए यहां तक कह दिया कि:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अब यह सफाई कि वे आरक्षण के विरुद्ध नहीं हैं, साफ तौर पर गुमराह करने वाली गलतबयानी है। केंद्र में बीजेपी से पहले इनकी 10 साल रही सरकार में इनकी सक्रियता में इन्होंने सपा के साथ मिलकर SC/ST का पदोन्नति में आरक्षण बिल पास नहीं होने दिया। इसका यह प्रमाण है कि इनकी नीयत साफ होती तो कांग्रेस की पहले की सरकारों में यह काम जरूर कर लिया गया होता। कांग्रेस ने न तो ओबीसी आरक्षण लागू किया और न ही SC/ST आरक्षण को सही से लागू किया। इससे स्पष्ट है कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं होती है तो इन उपेक्षित SC/ST/OBC वर्गों के वोट के स्वार्थ की खातिर इनके हित और कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जब सत्ता में रहती है तो इनके हित के खिलाफ लगातार काम करती है। ये लोग इनके इस षडयंत्र से सजग रहें।
साल 2004 से 2014 तक देश की सत्ता में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस जाति जनगणना नहीं करवा पाई और ना ही आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर पचास फीसदी के पार कर पाई। यहां तक कि प्रमोशन में आरक्षण का बिल आया, तो इसके भी विरोध में खड़ी हो गई कांग्रेस। और आज जब कांग्रेस सत्ता से बाहर है, तो राहुल गांधी अमेरिका में बैठकर बयान दे रहे हैं कि जब सही समय आएगा तो हम आरक्षण खत्म कर देंगे।