शाह को घेरने चले Rahul Gandhi बुरी तरह से हुए Expose
राहुल गांधी ने जय शाह पर सवाल उठाये हैं। कहा है कि जिसने क्रिकेट का बल्ला नहीं उठाया वो क्रिकेट के इंचार्ज बनाये गये हैं। जय शाह पर राहुल ने सवाल उठाया ठीक है। कोई बात नहीं। अब जरा उनका इतिहास भी देख लीजिए।
जय शाह—क्रिकेट की दुनिया में एक जाना माना नाम है। छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले जय शाह अब बन गये हैं ICC के चेयरमैन। मतलब BCCI के सचिव का पद कम था क्या जो अब ICC के चेयरमैन बनकर। वो भी निर्विरोध बनकर Jay Shah ने अपने विरोधियों को और जला भुना दिया है। अपनी आज की इस रिपोर्ट में मैं आपको जय शाह की तारीफ़ों के पुल बांधती हुई नज़र नहीं आऊंगी। लेकिन हां जिनके ख़ुद के घर शीशे के हैं वो दूसरों के घरों पर कैसे पत्थर उछाल रहे हैं ।
जो अपनी दादी इंदिरा गांधी, पिता राजीव गांधी और पूरी कांग्रेस के वर्चस्व से अपने करियर में आगे बढ़ा हो और 20 साल राजनीति में अपनी पूरी जान झोंकने के बावजूद 99 सीटें लाकर जश्न मना रहा हो वो बात करता है कि अमित शाह के बेटे हैं जय शाह इसलिए उन्हें ICC का चेयरमैन चुन लिया गया।
वाह राहुल जी वाह। इससे ज़्यादा की उम्मीद ना आपसे कभी कई गई ना की जा सकती। मेरा तो ये कहना है कि उठाइये सवाल जय शाह पर। अमित शाह पर पूरी बीजेपी पर। उससे मेरा कोई लेना देना नहीं है लेकिन एक बार कम से कम आप अपने गिरेबां में तो झांककर देख लेते। ये तो वहीं वाली बात हो गई कभी मीडिया में तो कभी मिस इंडिया में दलित ओबीसी आदिवासी ढूँढते रहे लेकिन ख़ुद राहुल का जो स्वागत करने आए उसमें सारे सवर्ण थे।
शाह को ICC का चेयरमैन क्या बनाया गया राहुल गांधी को बड़ा बुरा लग गया। कहने लगे- ‘अमित शाह के बेटे जय शाह ने कोई क्रिकेट का बल्ला नहीं उठाया और वो क्रिकेट के इंचार्ज बने हुए हैं। 6-7 लोग मिलकर देश चला रहे हैं और इन्हें लगता है कि देश की जनता या कश्मीर की जनता चुप रहेगी। अच्छा ऐसी बात है। तो चलिए अब आपको मैं बताती हूं आपका इतिहास जिसमें बहुत से लोगों को राजनीति का र नहीं पता था और बैठे सांसद विधायक बनकर। इसकी शुरुआत प्रियंका गांधी से ही कर लेते हैं जिन्हें वायनाड से चुनाव लड़ाने का ऐलान कांग्रेस की तरफ़ से कर लिया गया है।
प्रियंका गांधी या कहिए प्रियंका गांधी वाड्रा—कांग्रेस से ना जुड़ीं हो तो उन्होंने देश के लिए क्या किया है ? गांधी परिवार का तमगा ना हो तो वायनाड जिता देगा उन्हें ? एक भी चुनाव ना लड़ने वालीं प्रियंका गांधी कांग्रेस की बड़ी नेता मानी जाती हैं। उनकी तुलना इंदिरा गांधी तक से कर दी जाती है। क्यों ? गांधी परिवार से इतर प्रियंका गांधी को कोई जानता है ? मानता है ? उन्हें वायनाड जैसा भरोसा दे सकता है ?
प्रियंका क्या राहुल गांधी का ही चिट्ठा उठाकर देख लीजिए। पहले नेहरू, फिर इंदिरा गांधी, फिर राजीव गांधी। ये इतिहास ना होता तो राहुल को 2004 में सांसद की कुर्सी पर जनता बिठाती ? देशहित में राहुल का क्या योगदान है मुझे कोई बता दे ? ये तो वो लोग रहे हैं जो पद पर रहे या ना रहे। सत्ता इन्हीं के हिसाब से चली ? सोनिया गांधी का योगदान बता दीजिए कोई देशहित में ? ट्रोल करने वाली बात से इतर जरा सोचिए वो महिला दूसरे देश से आई हैं। वो गांधी परिवार की बहू ना बनती तो क्या उन्हें लोग Accept करते ? परिवारवाद के नाम बीजेपी को ट्रोल करने वाली कांग्रेस ख़ासकर राहुल गांधी अपना इतिहास देख लें तो ज़्यादा बेहतर होगा। क्योंकि जैसा की मैंने पहले भी कहा कि जिनके ख़ुद के घर शीशे के होते हैं वो दूसरों के घर पर पत्थर उछालते हुए अच्छे नहीं लगते।
कांग्रेस में परिवारवाद का आलम तो ये है कि जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार मिली थी उस वक़्त गांधी परिवार को ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था, उलटा राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों से इस्तीफ़ा लेने के लिए कह दिया था। इसी से तो आहत था वो G23 समूह। कांग्रेस के बड़े बड़े नेता जिनमें से कई तो अब पार्टी भी छोड़ चुके हैं वो ये बात डंके की चोट पर कहते हैं कि गांधी परिवार का वर्चस्व ऐसा है कि उनसे मिलना भी मुश्किल होता है।
हिमंता बिस्वा सरमा तो ये तक कह चुके हैं कि जब वो राहुल से मिलने गये थे ज़रूरी बात करनी थी उस वक़्त राहुल कुत्ते को बिस्कुट खिला रहे थे। राहुल और उनके अहंकारी होने के सबूत को बहुत से नेता दे चुके हैं। फिर वो बयान भी कांग्रेसियों का कौन भूल सकता है जिनमें पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं को रोकने के बजाये ये कहा गया कि जो जाना चाहता है वो जाये।
और जब परिवारवाद की बात हो ही रही है तो अमित शाह के बेटे ही क्योंकि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह..दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह। सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे ।अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह। प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रानी बरौसी। कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ विक्रांत भूरिया। सत्यव्रत चतुर्वेदी के भाई आलोक चर्तुवेदी।सुभाष यादव के छोटे बेटे सचिव यादव । डॉ गोविंद सिंह के भांजे राहुल भदौरिया । सबको मौक़ा मिला। ये बताता है कि कांग्रेस का भाई भतीजावाद सुपर एक्टिव रहा है।
और हां जिन लोगों को जय शाह के बारे में जानना है वो भी जान लीजिए कि 35 साल के जय शाह ने बिलकुल एक प्रशासनिक अधिकारी की तरह हमेशा क्रिकेट को आगे बढ़ाया है।2009 से वो प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर क्रिकेट से जुड़े संघ, बोर्ड या परिषद पर रहे हैं। 20 साल में क्रिकेट की दुनिया में आने वाले जय शाह लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। साल 2019 में वो सबसे कम उम्र में BCCI सचिव बने। उसी वक़्त ICC की भावी मुख्य कार्यकारी समिति बैठकों के लिए BCCI के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। फिर वो ACC अध्यक्ष भी बने। शाह के पिछले पांच साल के कार्यकाल काफ़ी चुनौतीपूर्ण तरीक़े से गुजरे हैं लेकिन उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। तो खैर।फ़िलहाल एक बात जाते जाते कहूँगी और वो ये की राहुल गांधी अगर ख़ुद पाक साफ़ हो उनकी छवि पर कोई दाग़ ना हो। वो परिवारवाद से अछूते हो तो सवाल उठाये। नहीं तो देशहित के लिए बहुत मुद्दे हैं उनपर फ़ोकस करें।