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महाकुंभ भगदड़ मामले पर रविशंकर प्रसाद का बयान, कहा "दोषी होंगे शर्मिंदा"

महाकुंभ के दौरान हुए भयंकर हादसे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद का बयान सामने आया है।उन्होंने इस घटना को षड्यंत्र से जोड़ते हुए जांच की बात कही। साथ ही, समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के विवादित बयान और आम श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं की कमी पर भी चर्चा की गई है
महाकुंभ भगदड़ मामले पर रविशंकर प्रसाद का बयान, कहा "दोषी होंगे शर्मिंदा"
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ मेले में हाल ही में घटित एक दर्दनाक हादसे ने सभी को हिलाकर रख दिया है। यह हादसा, जो मौनी अमावस्या के दिन हुआ, श्रद्धालुओं की एक भारी भीड़ की वजह से हुआ, जिसमें 30 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। इस घटना ने महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद ने संसद में इस घटना पर जवाब देते हुए इसे एक षड्यंत्र से जोड़ते हुए, सनातन धर्म की आस्था पर राजनीति करने वाले लोगों को भी निशाने पर लिया है।

भगदड़ की भयावहता और आरोप-प्रत्यारोप

मौनी अमावस्या के दिन हुई इस भगदड़ में, 30 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। इस घटना ने न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। हादसे के बाद, विपक्षी नेताओं ने इस मामले को लेकर सवाल उठाए और राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए। समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने महाकुंभ के पानी की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि भगदड़ में मरने वाले लोगों के शव नदी में फेंके गए थे, जिससे पानी प्रदूषित हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि, "यह पानी अब श्रद्धालुओं तक पहुंच रहा है, और इसके बारे में कोई सफाई नहीं दी जा रही है।" इसके अलावा, जया बच्चन ने आम लोगों की सुविधाओं के बारे में भी चिंता जताई। उनका कहना था कि वीवीआईपी को हर तरह की सुविधा दी जा रही है, लेकिन आम आदमी के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है।

इसके बावजूद, रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर अपने बयान में कहा कि जांच से षड्यंत्र की बू आ रही है और जब पूरी जांच होगी, तो घटना के पीछे जो लोग होंगे, उन्हें शर्म से सिर झुका देना पड़ेगा। उनका यह बयान इस बात को लेकर था कि विपक्ष महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन पर राजनीति कर रहा है और सनातन धर्म का अपमान कर रहा है। रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट तौर पर कहा, "हिंदुस्तान सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेगा।"
महाकुंभ हादसे में प्रशासन की भूमिका
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। हालांकि, यह हादसा इस बात को साबित करता है कि सुरक्षा के इंतजामों में कहीं न कहीं कमी थी। इस घटना के बाद, सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे। क्या भगदड़ की पूर्व चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया?

उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की जांच शुरू कर दी है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो। प्रशासन का कहना है कि इस समय जांच चल रही है और मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, सरकार यह भी दावा कर रही है कि महाकुंभ के बाकी दिनों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं को दोहराया नहीं जाएगा।
महाकुंभ के महत्व
महाकुंभ, जिसे भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला माना जाता है, हर 12 वर्ष में एक बार आयोजित होता है और इस बार 2025 में इसका आयोजन प्रयागराज में हो रहा है। इस मेले में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं, जिनका विश्वास है कि संगम में स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार भी महाकुंभ में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। महाकुंभ के दौरान हर दिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं। विशेष रूप से मौनी अमावस्या के दिन, जब इस पवित्र स्थान पर सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं, एक भव्य और अविस्मरणीय दृश्य उत्पन्न होता है। यही वह दिन था, जब अचानक भगदड़ मच गई और यह भीषण हादसा हुआ।

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और आस्था का प्रतीक है। इस मेले में हर किसी को शामिल होने का एक अद्वितीय अवसर मिलता है और यह देश-विदेश से लोगों को जोड़ता है। लेकिन, इस घटना के बाद यह भी आवश्यक हो गया है कि इस तरह के आयोजन की तैयारी में और सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार किया जाए ताकि श्रद्धालुओं की जान और संपत्ति की रक्षा की जा सके।

इस हादसे ने यह भी साबित किया है कि जब कोई धार्मिक आयोजन इतने बड़े स्तर पर होता है, तो उस पर पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। महाकुंभ का आयोजन करोड़ों लोगों के लिए एक पवित्र और अविस्मरणीय अनुभव होता है, और इसे और सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने की दिशा में कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
Source- IANS
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