वक्फ संशोधन बिल पर संसद में बवाल, ओवैसी ने फाड़ी बिल की कॉपी!
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किए जाने के बाद संसद में बड़ा हंगामा हुआ। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिल की कॉपी फाड़कर इसका कड़ा विरोध किया और इसे असंवैधानिक करार दिया। विपक्ष का कहना है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों को प्रभावित करेगा, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि यह कानून सभी पर लागू होगा और इसे सभी को मानना होगा।

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का जमकर विरोध किया और गुस्से में बिल की कॉपी तक फाड़ दी। उन्होंने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है और इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर खतरा मंडराने लगेगा।
क्या है वक्फ संशोधन बिल?
वक्फ संशोधन बिल केंद्र सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत वक्फ संपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के अनियमित इस्तेमाल, अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के प्रावधान शामिल हैं। सरकार का दावा है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा और अवैध कब्जेदारों पर शिकंजा कसा जाएगा।
संसद में क्यों हुआ हंगामा?
जब लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक संस्थानों को अपने धार्मिक कार्यों का स्वतंत्र संचालन करने की अनुमति देता है। उन्होंने आशंका जताई कि अगर यह कानून लागू होता है, तो डीएम और कलेक्टर सरकारी संपत्ति का हवाला देकर वक्फ संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं। ओवैसी ने तर्क दिया कि सरकार इस कानून के जरिए धार्मिक संस्थानों में हस्तक्षेप कर रही है और भविष्य में इससे मस्जिदों की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा, "अगर यह कानून पास हो गया तो देश में प्राचीन मंदिरों की हिफाजत होगी, लेकिन मस्जिदों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।"
अमित शाह ने दिया जवाब
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पारदर्शिता लाने और वक्फ संपत्तियों की लूट को रोकने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा, "यह संसद द्वारा पारित किया गया कानून होगा और इसे सभी को स्वीकार करना पड़ेगा। विपक्ष बेवजह डर पैदा कर रहा है कि यह कानून मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा।" अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के अवैध सौदों पर रोक लगाना और उन्हें सही ढंग से प्रबंधित करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक से वक्फ की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और किसी भी धार्मिक समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
कानून के प्रमुख प्रावधान
वक्फ बोर्ड को अधिक शक्तियां: नए संशोधन के तहत वक्फ बोर्ड को अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वे वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हटाने में सक्षम होंगे।
लेन-देन पर निगरानी: इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों की खरीद-फरोख्त और लीज़ पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
अवैध कब्जों की जांच: सरकार के अनुसार, यह विधेयक उन लोगों पर शिकंजा कसेगा जो वक्फ संपत्तियों को औने-पौने दामों पर लीज़ पर देकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
संपत्तियों की सूची अपडेट करने का प्रावधान: वक्फ बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी संपत्तियों की सूची नियमित रूप से अपडेट करें और इसे सार्वजनिक करें।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे "धार्मिक हस्तक्षेप" करार दिया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा। बीजेपी के अनुसार, इस कानून से यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ संपत्तियों का सही और न्यायसंगत उपयोग हो।
सरकार का दावा है कि यह विधेयक किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए लाया गया है। लेकिन विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इस विधेयक से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता प्रभावित होगी और प्रशासन को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण मिल जाएगा।
लोकसभा में इस विधेयक पर बहस के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। अगर यह राज्यसभा से पास होता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। फिलहाल इस विधेयक को लेकर देशभर में बहस जारी है और आने वाले दिनों में इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों पर गहराई से चर्चा होने की संभावना है।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में जो बवाल मचा है, वह आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकता है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता लाने वाला कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहा है। इस विधेयक के पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह वाकई वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेगा या फिर यह किसी नई राजनीतिक बहस को जन्म देगा?