संजय राउत ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर किया दावा, जिसके लिए आया बिल वही नहीं कर सकेगा कार्यकाल पूरा
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मोदी सरकार द्वारा उठाए गए क़दम पर अब राजनीति बयानबाज़ी का सिलसिला लगतर बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर अब शिवसेना यूबीटी से राज्यसभा के सांसद संजय राउत का बयान सामने आया है। उन्होंने बीजेपी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि हमने इस बिल का विरोध किया है
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मोदी सरकार द्वारा उठाए गए क़दम पर अब राजनीति बयानबाज़ी का सिलसिला लगतर बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर अब शिवसेना यूबीटी से राज्यसभा के सांसद संजय राउत का बयान सामने आया है। उन्होंने बीजेपी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि हमने इस बिल का विरोध किया है। सरकार का यह बिल एकदम गलत है, सरकार की यह कोशिश देश की जो संघीय संरचना है उसे ख़त्म करने की है। राउत ने यह भी दावा किया कि जिस व्यक्ति के लिए यह बिल लाया जा रहा है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगा।
#WATCH 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा, "हमने इसका विरोध किया है, हमारे देश का जो संघीय संरचना है उसको खत्म करने की ये कोशिश है। पूरे एक व्यक्ति के हाथ में पूरे देश और राज्य की सत्ता रहे उसके लिए ये बिल लाया गया है लेकिन जिस व्यक्ति के लिए ये बिल लाया… pic.twitter.com/XkKwFoB7MC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 18, 2024
मीडिया से बात करते हुए संजय राउत ने कहा "हमने इसका विरोध किया है, हमारे देश का जो संघीय संरचना है उसको खत्म करने की ये कोशिश है। पूरे एक व्यक्ति के हाथ में पूरे देश और राज्य की सत्ता रहे उसके लिए ये बिल लाया गया है लेकिन जिस व्यक्ति के लिए ये बिल लाया जा रहा है वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगा। बीजेपी के बैंक खाते में 10,000 करोड़ रुपए कहां से आए? पहले इसका हिसाब दीजिए फिर खर्चे की बात करिए, चुनाव में सबसे ज्यादा खर्च करने वाली पार्टी बीजेपी है। संजय राउत ने इस बात का दावा भी किया है कि जिस व्यक्ति में देश और राज्य की सत्ता रहे उसके लिए इस बिल को केंद्र ने बनाया है लेकिन वही व्यक्ति अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाएगा।
संजय राउत के अलावा प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मोदी सरकार के इस क़दम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। "वहां वोटिंग हुई जिसमें तय हुआ कि इसे पेश किया जाए या सीधे जेपीसी के पास भेजा जाए। उस वोटिंग में खुद बीजेपी के 20 सांसद गायब पाए गए थे। इससे पता चलता है कि व्हिप जारी करने के बावजूद उनके पास जिस तरह का नियंत्रण था, लोगों ने उसकी अवहेलना करना चुना।"
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इस बिल को सदन होने के बाद जेपीसी में भेज दिया गया है। इन सबके बीच मोदी सरकार ने बिल को लेकर दावा किया था कि इसके लागू होने से देश में अलग-अलग चुनाव में आने वाले भारी भरकम ख़र्च में कमी आएगी। वही इसको लेकर विपक्ष की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया है।