महायुति में तय हो गया सीट शेयरिंग का फॉर्मूला, जानिए कितने सीट पर लड़ेगी बीजेपी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो सत्ताधारी महायुति गठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल हो चुकी है। सूत्रों के हवाले से जो खबर निकलकर सामने आ रही है। इसके तहत बीजेपी डेढ़ सौ से भी ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए अब कुछ ही दिनों का वक्त बचा है। ऐसे में राज्य में सक्रिय तमाम राजनीतिक दल अपनी चुनावी तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हुए है। सभी दलों में प्रत्याशियों के चयन से लेकर गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बैठकों का दौर लगातार जारी है। राज्य में महायुती और महाविकास अघाड़ी दोनों गठबंधन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। इन दोनों गठबंधनों में शामिल दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत भी लगभग फाइनल हो चुकी है। इसी कड़ी में अगर बात सत्ताधारी महायुति करें तो अब इस गठबंधन में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल हो चुकी है। सूत्रों के हवाले से जो खबर निकलकर सामने आ रही है। इसके तहत बीजेपी डेढ़ सौ से भी ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
बीजेपी कितने सीटों पर लड़ेगी चुनाव
दरअसल, महाराष्ट्र में मौजूदा वक्त में महायुद्ध की सरकार है जिसमें बीजेपी एकनाथ शिंदे की शिवसेना शामिल है। यही वजह है कि इस बार भी महायुती गठबंधन पूरे दम ख़म के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोक रहा है। सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत का दौर भी एकदम अंतिम लगभग फाइनल दौर में है। महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीट को लेकर तय हुए नतीजे के मुताबिक़ भारतीय जनता पार्टी 156 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के खाते में 78 से 80 सीट और अजीत पवार की एनसीपी को 53 से 54 सीट मिलने की बात निकलकर सामने आ रही है। बताते चले कि मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के 103 विधायक हैं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास 40 और अजीत पवार गुट की एनसीपी के पास 43 विधायक है। ऐसे मेंमहायुति गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल है। जो 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 105 सीट जीतने में कामयाब रही थी। इन्हीं आँकड़ों के चलते इस बार भारतीय जनता पार्टी ने इस गठबंधन में सबसे ज्यादा सेट की मांग की थी और अब जो खबर निकल के सामने आ रही है उसके मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 156 सीटों पर मज़बूती के साथ ताल ठोकेगी।
पिछली विधानसभा में क्या रहे थे नतीजे
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले विधानसभा यानी 2019 में हुए चुनाव के बाद काफी राजनीतिक उठा-पटक की स्थिति देखने को मिली थी। पिछले चुनाव में बीजेपी 105, शिवसेना 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीट मिली थी। हालांकि चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसमें एनसीपी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद एक बार फिर जून 2022 में महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया और शिवसेना में आंतरिक कलह हुई। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों को तोड़ दिया और एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। अब यह पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है जब शिवसेना के दो गुट और एनसीपी के दो गुट आमने-सामने होंगे। यही वजह है कि इस चुनाव में शरद पवार, उद्धव ठाकरे अपनी पूरी ताकत झोंक हुए हैं और उनका मानना है की इस बार जनता का पूरा विश्वास महाविकास अघाड़ी के साथ है। वही दूसरी तरफ़ एकनाथ शिंदे भी पुनः सत्ता में वापसी के लिए हर संभव प्रयत्न कर रहे है।
राज्य में नए गठबंधन की दस्तक
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से कई महीने पहले गठबंधन में शामिल दल अपने-अपने हिसाब से गणित सेट करने में लगे हुए थे। बीजेपी की अगुवाई वाली सत्ताधारी महायुति में शामिल एकनाथ शिंदे कि शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है। अब तक बीजेपी ने 99 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार के नाम का ऐलान भी कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन यानी की महाविकास अघाड़ी की बात करें तो उसे गठबंधन में अभी भी सीट शेयरिंग को लेकर फंसा हुआ पेंच फिलहाल खुलता नहीं दिख रहा है। अब राज्य में महायुती और महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के चल रहे संघर्ष के बीच अब राज्य की राजनीति में एक तीसरी गठबंधन की एंट्री भी हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद संभाजी राजे छत्रपति की अगुवाई में हुए इस नए गठबंधन में राजू शेट्टी की पार्टी स्वाभिमानी शेतकरी पक्ष, बच्चू कुडु की अगुवाई वाली प्रहार जनशक्ति पार्टी भी शामिल है। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और वंचित बहुजन आघाडी के प्रकाश आंबेडकर को भी तीसरे गठबंधन में शामिल होने का नेता भेजा है । इसके साथ उन्होंने यह भी दावा किया है कि दो-दो शिवसेना दो दो एनसीपी है। इन दोनों पार्टियों का एक-एक गुट सत्ता में है और एक-एक गुट विपक्ष में है, इससे लोग भ्रमित हैं और यही वजह है कि महाराष्ट्र की जनता परिवर्तन करने के लिए बेचैन है और वह तीसरा विकल्प खोज रही है।
महाविकास अघाड़ी और महायुति की बढ़ी टेंशन
बताते चलें कि परिवर्तन महाशक्ति के गठन में महायुति और महाविकास अघाड़ी की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। इस गठबंधन को अगर मनोज जरांगे पाटिल भी समर्थन कर देते हैं ,प्रकाश आंबेडकर की पार्टी भी शामिल हो जाती है तो यह महाविकास अघाड़ी के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत का सबब बनेगा क्योंकि जिस तरीके से हालिया लोकसभा चुनाव पर नज़र डाले तो मराठवाड़ा रीजन के 46 विधानसभा सीटों में से 31 विधानसभा सीटों को महाविकास अघाड़ी की पार्टियों के उम्मीदवार आगे रहे हैं। वही किसान नेता राजू शेट्टी का प्रभाव भी पश्चिम महाराष्ट्र के क्षेत्र में अधिक माना जाता है। लोकसभा चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों ही गठबंधनों के बीच कांटे की लड़ाई देखने को मिली थी। पश्चिम महाराष्ट्र में विधानसभा की 70 सीट आती हैं और यहां महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार 35 सीटों पर आगे रहे थे जबकि महायुति के उम्मीदवार भी 30 सीटों पर बढ़त बनाने में सफल रहे। वही विदर्भ रीजन की सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी की फाइट को निर्णायक माना जाता है लेकिन परिवर्तन महाशक्ति की एंट्री से सरकार से नाराज एकमुश्त वोट इस नए गठबंधन की तरफ जा सकता है। शायद यही वजह है कि अब चाहे इतना शिंदे हो चाहे उद्धव ठाकरे दोनों की चिंता बढ़ गई है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 288 विधानसभा सीटों पर सिंगल फेज में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराए जाने के लिए एलान किया गया था जिसके मुताबिक राज्य में 20 नवंबर को मतदान होंगे जबकि वोटो की गिनती 23 नवंबर को होगी। तब जाकर यह स्थिति साफ होगी कि गठबंधन में शामिल तमाम दल जिस तरीके से सीट शेयरिंग से लेकर एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप कर रहे हैं बावजूद इसके जनता का समर्थन और जनता का आशीर्वाद किसे प्राप्त होता है।