देखिये कैसे Modi ने एक साथ 6 विपक्षी नेताओं के सपने तोड़ दिये ?
मोदी विरोध में नेताओं ने की थी बड़ी भविष्यवाणी
दरअसल मोदी को सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी पार्टियों ने इस बार इंडिया गठबंधन बनाया था। जिसमें ममता बनर्जी, नवीन पटनायक जैसे कुछ बड़े नेताओं को छोड़ कर विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए थे। जिससे मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंके और मजे की बात तो ये है कि विपक्ष को ये उम्मीद भी हो गई थी कि इस बार मोदी सत्ता में नहीं आने वाले हैं। इसीलिये साल 2023 में ही बयान देने लगे कि 15 अगस्त 2024 को यानि स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री मोदी लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाएंगे और ये सियासी भविष्यवाणी करने वाले नेताओं में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज, आरजेडी नेता लालू यादव, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राऊत जैसे लोग शामिल थे।
विपक्ष ये मान चुका था कि बीजेपी सत्ता में नहीं आने वाली है और मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनने वाले हैं। तो फिर भला लाल किले पर तिरंगा कैसे फहराएंगे। क्योंकि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधानमंत्री ही तिरंगा फहराते हैं। लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो विपक्ष के सपने चकनाचूर हो गये और पीएम मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता में भी आ गये। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगा भी फहरा दिया।
15 अगस्त के दिन लाल किले पर एक ऐसा नजारा भी देखने को मिला, जिस कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कहा करते थे कि 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाएंगे। उसी कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी लाल किला परिसर में बैठ कर पीएम मोदी को तिरंगा फहराते हुए देख रहे थे।
साल 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री बने। और साल 2014 से अब तक लगातार 11 बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी तिरंगा फहरा चुके हैं। जबकि मोदी को सत्ता से हटाने का सपना देखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे, सौरभ भारद्वाज, अखिलेश यादव, संजय राउत, लालू यादव, ममता बनर्जी जैसे नेता आज भी विपक्ष में ही हैं। और साल 2029 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव तक विपक्ष में ही रहेंगे। 2029 के चुनाव में अगर विपक्ष जीत हासिल करता है। तब जरूर विपक्ष के किसी नेता को प्रधानमंत्री के तौर पर लाल किले पर तिरंगा लहराने का मौका मिल सकता है।