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Shankar Sharma निकला Rashid Siddiqui ! हिंदुओं के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िश फेल

कर्नाटक के बेंगलुरू में शंकर शर्मा नाम के एक शख़्स को गिरफ्तार किया गया। Special Input के आधार पर ये कार्रवाई हुई, जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि शंकर का असली नाम शंकर है ही नहीं, उसका असली नाम है राशिद अली सिद्दकी। नाम से भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि वो भारत का भी रहने वाला नहीं है बल्कि पाकिस्तान का रहने वाला है और पिछले 10 साल से भारत में रह रहा है। फ़िलहाल पुलिस ने जांच को आगे बढ़ा दिया है।
Shankar Sharma निकला Rashid Siddiqui ! हिंदुओं के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िश फेल

कर्नाटक के बेंगलुरू में शंकर शर्मा नाम के एक शख़्स को गिरफ्तार किया गया। Special Input के आधार पर ये कार्रवाई हुई, जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि शंकर का असली नाम शंकर है ही नहीं…उसका असली नाम है राशिद अली सिद्दकी। नाम से भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि वो भारत का भी रहने वाला नहीं है बल्कि पाकिस्तान का रहने वाला है और पिछले 10 साल से भारत में रह रहा है। राशिद की पत्नी और सास ससुर भी पाकिस्तानी हैं। हैरानी की बात ये है कि सबके सबका नाम हिंदू, सबकी पहचान भारतीय ? उनके पास आधार कार्ड और पासपोर्ट से लेकर कई और दस्तावेज भी मिले जो कि सब उनके भारतीय होने का दावा करते हैं।

ये सब देख जांच अधिकारियों के होश फ़ाख्ता हो गये। पूछताछ आगे बढ़ी तो पता चला कि ये सभी बेंगलुरू के जिगनी में 6 साल और भारत में पिछले 10 साल से रह रहे हैं। फिर क्या अधिकारियों के ज़हन में अब एक ही सवाल था कि आख़िर इन सभी के फ़र्ज़ी दस्तावेज किसने बनवाये और ये कैसे मुमकिन है कि 10 साल से कोई पाकिस्तानी आकर रह रहा और किसी को कानों कान ख़बर तक नहीं हुई ? पूछताछ हुई तो परवेज़ नाम के व्यक्ति का खुलासा हुआ जो इन सभी पाकिस्तानियों के फ़र्ज़ी दस्तावेज बनवाकर उन्हें यहां रहने दे रहा था। परवेज़ ख़ुद भारतीय है।

परवेज़ से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वो ख़ुद तो भारतीय है लेकिन उसकी पत्नी पाकिस्तानी नागरिक है। ये सुनकर अधिकारियों ने परवेज़ को धर दबोचा। परवेज़ पर कई सवाल दागे गये जिसके जवाब ने अधिकारियों के भी होश उड़ा दिये। परवेज़ ने बताया कि सिर्फ़ यही परिवार नहीं बल्कि अलग अलग राज्यों में ऐसे कई लोग रह रहे हैं जो पाकिस्तानी है और हिंदू नाम बदलकर रह रहे हैं। उन सबक़े काग़ज़ भी परवेज़ ने ही बनवाये थे।

ज़ाहिर है अलग अलग राज्यों में जाकर पुलिस कैसे उन लोगों को ढूँढेगी जो है तो पाकिस्तानी लेकिन हिंदू नाम रखकर रह रहे हैं, उनके पास आधार कार्ड और पासपोर्ट भी है तो ऐसे लोगों की पहचान करना मुश्किल होगा।तो पुलिस अधिकारियों ने एक तरकीब निकाली। परवेज़ से कहा गया कि जितने भी लोगों के उसने फ़र्ज़ी दस्तावेज बनवाये हैं उन सबको एक साथ मिलने के लिए बुलाये। परवेज़ ने पुलिस अधिकारियों के दबाव में आकर सभी को फ़ोन मिलाया और कहा कि सब एक जगह इकट्ठा हो जाएं मीटिंग होनी है।

परवेज़ के कहने पर सारे पाकिस्तानी नागरिक इकट्ठा हो गये। फिर वहां से परवेज़ ने उन्हें एक एककर अंजान गाड़ी में बिठाना शुरू कर दिया। इस तरह पुलिस ने बिना भागदौड़ किये ऐसे पाकिस्तानी नागरिकों को पकड़ लिया। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस तरह से पुलिस ने एक नहीं दो नहीं तीन नहीं बल्कि 22 पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया है।ख़ुद कर्नाटक के गृहमंत्री ने ये माना कि ना जाने कितने ही पाकिस्तानी पहचान छुपाकर इस तरह से भारत में रह रहे हैं और उनका इस तरह से रहना ख़ुफ़िया एजेंसियों की नाकामी है।

सोचिए अकेले बेंगलुरु में 18 पाकिस्तानी पकड़े गये हैं तो वहीं चेन्नई में 4। इसी तरह से 22 को तो गिरफ्तार कर लिया गया, इनमें से कुछ दूसरे राज्यों से बैठक के बहाने बुलाये गये थे जैसा की मैंने आपको पहले भी बताया।लेकिन वाक़ई क्या सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये घुसपैठ बड़ी चुनौती नहीं ? साफ़ है इस मामले की जितनी गंभीरता से जांच हो सके वो होनी चाहिए क्योंकि देश की सुरक्षा के लिए ये बहुत बड़ा ख़तरा है।

खैर, अब जो पाकिस्तानी पकड़े गये है वो किस मक़सद से यहां पर रह रहे थे ये आपके लिये जानना ज़रूरी है। इनके मक़सद को जानने के लिए तमाम ख़ुफ़िया एजेंसिया लगाता पूछताछ कर रही हैं। जो जानकारी हाथ लगी है उसके मुताबिक़ ये सभी अवैध तरीक़े से भारत आये थे अपनी विचारधारा को प्रमोट करने के लिए। यहां पर इनकी मुलाक़ात परवेज़ से हुई, नक़ली दस्तावेज बन गये और अब ये अपने मक़सद को पूरा करने में जुटे हुए थे। इनकी विचारधारा वाले लोगों को या तो पाकिस्तान में यातनाएं दी जाती हैं या फिर जान से मार दिया जाता है।

दरअसल ये सभी पाकिस्तानी पाकिस्तान में बैन मेहदी फ़ाउंडेशन से सदस्य हैं। अब ये फ़ाउंडेशन क्या है और कैसे काम करता है से समझिए।

क्या है मेहदी फ़ाउंडेशन ?

  • मेहदी फ़ाउंडेशन को मसीहा फ़ाउंडेशन के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1970 में पाकिस्तान में इसकी शुरूआत हुई थी।
  • इसकी स्थापना रियाज़ अहमद गौहर शाही ने की थी।
  • रियाज़ अहमद गौरी शाह पाकिस्तानी स्प्रिचुअल लीडर थे।
  • 2002 में इसे औपचारिक रूप से MFI नाम दिया गया था।
  • पाकिस्तान में जमकर होता है MFI का विरोध
  • पाकिस्तान के इस्लामी मौलवी इसे पसंद नहीं करते।
  • MFI सदस्यों के ख़िलाफ़ कई ईशनिंदा के मामले दर्ज किये गये और कई लोगों को मार दिया गया।
  • पाकिस्तान में MFI को ग़ैरक़ानूनी मानते हैं। 
  • MFI को आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत एक ग़ैर क़ानून संगठन घोषित किया गया था।
  • MFI के सदस्यों के साथ जमकर होता है बुरा व्यवहार।

बहरहाल, ये तो सिर्फ़ 22 पाकिस्तानियों की बात है, भारत के अलग अलग कोनों में ना जाने कितने ही ऐसे लोग रह रहे होंगे

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