शिवसेना की दशहरा रैली: शिंदे बनाम ठाकरे, दशहरा रैली में नया चुनावी बवाल
विजयादशमी (Vijya Dashmi 2024) का त्योहार देशभर में मनाया जा रहा है. आज दशहरा (Happy Dussehra 2024) के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) शनिवार को मुंबई में अपनी-अपनी दशहरा रैली आयोजित करेंगी.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी के बीच, शिवसेना में ताकत दिखाने की होड़ जारी है। एक ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने अपने-अपने समर्थकों के सामने विजयादशमी पर शक्ति प्रदर्शन का फैसला किया है। शिंदे की रैली मुंबई के आजाद मैदान में होगी, जबकि ठाकरे की रैली शिवाजी पार्क में आयोजित की जाएगी।
दोनों गुट दशहरा रैली के माध्यम से अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की जड़ें इतिहास में गहरी हैं। हर साल दशहरा रैली का आयोजन एक परंपरा के रूप में देखा जाता है, जहां बाल ठाकरे से शुरू हुई यह प्रथा शिवसेना कार्यकर्ताओं के लिए अत्यधिक भावुक और शक्तिशाली पल होती है। यह रैली शिवाजी पार्क में होती है, जो शिवसेना के ऐतिहासिक गढ़ के रूप में जानी जाती है।
वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की रैली मुंबई के आजाद मैदान में होगी। शिंदे ने रैली के लिए 3,000 से अधिक बसों का इंतजाम किया है और उनके समर्थकों की संख्या दो लाख से अधिक बताई जा रही है। शिंदे की शिवसेना ने अपने समर्थकों के लिए वीडियो टीजर जारी किया, जिसमें शिवसेना का प्रतीक बाघ कांग्रेस से बंधा हुआ दिखाया गया, जिसे शिंदे ने तीर से मुक्त कराया। यह प्रतीकात्मक रूप से कांग्रेस से अलग होने और स्वतंत्र पहचान के संकेत के रूप में दिखाया गया है। यह टीजर उनकी रैली के चुनावी संदेश का हिस्सा है।
दोनों गुट एक-दूसरे पर राजनीतिक हमला करने से पीछे नहीं हटते। जहां उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने शिंदे को गद्दार करार दिया है, वहीं शिंदे का धड़ा बाल ठाकरे की असली शिवसेना होने का दावा करता है। दोनों ही पार्टियां चुनावी जंग के लिए अपने-अपने समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास कर रही हैं।
शिवसेना की दशहरा रैली सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि शिवसेना के गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। शिवाजी पार्क और आजाद मैदान में हो रहे इन आयोजनों पर भारी बारिश के बावजूद इसका आयोजन होना दिखाता है कि शिवसेना के दोनों गुट किस हद तक चुनावी मैदान में अपनी पहचान कायम करने के लिए तैयार हैं।
इस दशहरा रैली को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है, जहां दोनों गुट अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनावी मैदान में यह संघर्ष दिलचस्प होता जा रहा है।