'एक देश एक चुनाव' पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया, कहा-'लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बड़ा षड्यंत्र'
वन नेशन वन इलेक्शन के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को मंज़ूरी दी है। अब क़यास इस बात के है कि अगले सप्ताह सदन के पटल पर सरकार इस बिल को पेश करेगी। इस बिल को लेकर अब राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है। सपा अध्यक्ष ने इसे षड्यंत्र बताया
देश में लोकसभा और विधानसभा समेत तमाम चुनाव को एक साथ कराने की दिशा में गुरुवार को मोदी सरकार ने क़दम बढ़ाया है। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को मंज़ूरी दी है। अब क़यास इस बात के है कि अगले सप्ताह सदन के पटल पर सरकार इस बिल को पेश करेगी। इन बीच अब 'एक देश एक चुनाव' पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आना शुरू हो गई है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार के इस क़दम को लोकतंत्र के ख़िलाफ़, एकतंत्री सोच का बहुत बड़ा षड्यंत्र बताया है।
दरअसल, गुरुवार को जब ख़बर सामने आई कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव को मंज़ूरी दी है तभी से इस पर तमाम प्रतिक्रिया सामने आने लगी थी। इस कड़ी में सपा अध्यक्ष ने अपने सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफ़ोर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि "‘एक देश, एक चुनाव’ सही मायनों में एक ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ व्यवस्था भी है क्योंकि कभी-कभी सरकारें अपनी समयावधि के बीत में भी अस्थिर हो जाती हैं तो क्या वहाँ की जनता बिना लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के रहेगी। इसके लिए सांविधानिक रूप से चुनी गयी सरकारों को बीच में ही भंग करना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।
अखिलेश यादव ने आगे लिखा-"दरअसल ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र के खिलाफ, एकतंत्री सोच का बहुत बड़ा षड्यंत्र है. जो चाहता है कि एक साथ ही पूरे देश पर कब्जा कर लिया जाए. इससे चुनाव एक दिखावटी प्रक्रिया बनकर रह जाएगा। जो सरकार बारिश, पानी, त्योहार, नहान के नाम पर चुनावों को टाल देती है, वो एक साथ चुनाव कराने का दावा कैसे कर सकती है। ‘एक देश, एक चुनाव’ एक छलावा है, जिसके मूल कारण में एकाधिकार की अलोकतांत्रिक मंशा काम कर रही है। ये चुनावी व्यवस्था के सामूहिक अपहरण की साजिश है।"
‘एक देश, एक चुनाव’ सही मायनों में एक ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ व्यवस्था भी है क्योंकि कभी-कभी सरकारें अपनी समयावधि के बीच में भी अस्थिर हो जाती हैं तो क्या वहाँ की जनता बिना लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के रहेगी। इसके लिए सांविधानिक रूप से चुनी गयी सरकारों को बीच में ही…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 12, 2024
ग़ौरतलब है कि इससे पहले ही 'एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसको देश की जीडीपी के लिए बेहतर बताया था। उनका यह भी कहना है कि सरकार को इस बिल को सर्वसम्मति के साथ लागू करना चाहिए। अगर यह बिल लागू होता है तो देश में तमाम चुनावों में आने वाले भारी भरकम ख़र्च में बचत होगी। वही विपक्षी पार्टी इस बिल को लेकर पहले ही विरोध जता चुकी है। अब देखना होगा सरकार जब इस बिल को सदन में पेश करती है तो विपक्षी पार्टी किस तरह से इसका विरोध करती है।