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उपचुनाव से पहले कांग्रेस सपा-कांग्रेस में फूट, मैदान छोड़ देगी कांग्रेस?

यूपी उपचुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान हो गया है। कांग्रेस 5 सीटों की मांग कर रही थी। लेकिन सपा ने अपने 6 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। अब दोनों पार्टी 2-5 की लड़ाई में फंसती जा रही है। कांग्रेस नाराज है और उपचुनाव से हट भी सकती है। देखिए पूरी खबर।
उपचुनाव से पहले कांग्रेस सपा-कांग्रेस में फूट, मैदान छोड़ देगी कांग्रेस?
झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा के साथ साथ उपचुनाव को लेकर भी डेट का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है। तारीखों की घोषणा के बाद सभी राज्यों में पार्टियां सक्रिय हो गई है। बात यूपी की करें तो यहां 10 में से 9 सीटों पर उपचुनाव होंगे। लेकिन जहां बीजेपी के लिए ये उपचुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है।  इन उपचुनावों से पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के रिश्तों में खटास देखने को मिल रहे हैं। कैसे देखिए पूरी खबर ।


उपचुनाव को लेकर कांग्रेस लगातार मांग कर रही थी कि उन्हें वो 5 सीट चाहिए जिसपर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। पार्टी को यह उम्मीद थी कि पांच की डिमांड करेंगे तो कम से तीन सीटें तो मिल ही जानी चाहिए लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं। बीते दिन ही उपचुनाव के लिए सपा की तरफ से लिस्ट जारी कर दी गई। जिसमें 6 सीटें शामिल है। बार्गेनिंग टेबल पर पार्टी को जितने सीटों की उम्मीदें थी वो पूरी नहीं हो पाई। सपा ने कांग्रेस के लिए मात्र दो सीटें छोड़ी। और अब इसी वजह से दोनों पार्टियों का रिश्ता तल्ख हो गया है। कांग्रेस मात्र दो सीट पाकर खफा है। 

उपचुनाव के मैदान से दूर रहेगी कांग्रेस?


कांग्रेस को उपचुनाव में पांच सीटें चाहिए थी। सपा ने कांग्रेस के लिए अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट छोड़ी है। आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार अब चर्चा होने लगी है कि कांग्रेस यूपी से हट सकती है और किसी भी सीट पर उम्मीदवार उतारने से मना कर सकती है। सूत्रों के हवाले से आजतक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कांग्रेस खुद उम्मीदवार न उतारकर मऊ की घोसी सीट के लिए हुए उपचुनाव की तर्ज पर सपा का समर्थन कर सकती है। हालांकि इसे लेकर कांग्रेस की तरफ से कुछ आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है। अपने इस मूव से कांग्रेस सपा पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। अगर ये रणनीति काम कर गई और कांग्रेस को फूलपूर सीट मिल गई तो बात बन सकती है। हालांकि सपा ने इसपर अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। 

कांग्रेस को क्यों चाहिए फूलपुर सीट?


फूलपुर सीट से इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के नाम जुड़े है। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि ये उसकी पुश्तैनी सीट है और यहां से जीत पाना आसान होगा। आभी इस पर आखिरी फैसला आना बाकी है  राहुल गांधी और अखिलेश यादव इसपर चर्चा कर रहें है। आखिरी फैसले का इंतजार हो रहा है। चर्चा में दोनों के बीच सारी मतभेद मिटाने की कोशिश चल रही है।

क्यों नाराज है कांग्रेस?


कांग्रेस कई कारणों से नाराज है। कांग्रेस को दो सीटें मिला रही है। एक गाजियाबाद और एक खैर। गाजियाबाद शहरी सीट है, जिसपर बीजेपी का प्रभाव ज्यादा है। और अलीगढ़ की खैर सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने 1500 वोट भी हासिल भी नहीं कर पाए थे। खैर सीट जिन चारू केन के लिए कांग्रेस मांग रही थी, उन्हें 60 हजार से ज्यादा वोट जरूर मिले थे लेकिन तब वह बसपा उम्मीदवार थीं। यूपी में कांग्रेस की जड़ उतनी भी मजबूत नहीं हैं। दूसरे जो सीटें पार्टी को मिली हैं उनपर ट्रैक रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा है। 

कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस और सपा के लिए ये अहम समय है। देखना होगा कि कांग्रेस का प्रेशर पॉलिटिक्स काम कर पाता है या फिर ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस उपचुनाव के मैदान से खुद को दूर कर लेती है। 

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