वायु प्रदूषण पर कड़ी कार्रवाई, दिल्ली में 54,000 चालान, 56 निर्माण स्थल किए बंद
दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। हाल ही में 54,000 से अधिक वाहनों पर चालान काटा गया है, जिनके पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट नहीं था। इसके साथ ही, 3,900 से अधिक पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को जब्त कर लिया गया है। इसके अलावा, 56 निर्माण स्थलों को बंद कर दिया गया है, जो प्रदूषण नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है, और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई कठोर कदम उठाए गए हैं। पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट न रखने वाले लगभग 54,000 वाहनों का चालान किया गया है। इसके अलावा, लगभग 3,900 से अधिक ऐसे वाहनों को जब्त किया गया जिनकी समय सीमा पूरी हो चुकी थी। साथ ही, वायु प्रदूषण के बढ़ते संकट को देखते हुए, 56 निर्माण स्थलों पर भी ताला लगा दिया गया है।
क्यों उठाए गए ये कदम?
सर्दियों के आगमन के साथ ही दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है। इस मौसम में हवा की गति कम हो जाती है, जिसके चलते प्रदूषक कण वायुमंडल में लंबे समय तक बने रहते हैं। उद्योगों से निकलने वाले धुएं, सड़क निर्माण, वाहनों का धुआं और पराली जलाने जैसी गतिविधियाँ इस प्रदूषण में और अधिक योगदान देती हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को लागू किया गया है। GRAP एक व्यापक योजना है जो वायु गुणवत्ता के अनुसार चार स्तरों पर कार्य करती है। पहला चरण 15 अक्टूबर से शुरू हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 22 अक्टूबर से लागू किया गया है।
GRAP के तहत कड़े कदम
वाहनों पर निगरानी: दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेशानुसार, भारी प्रदूषण फैलाने वाले और पीयूसी सर्टिफिकेट न रखने वाले वाहनों पर विशेष नजर रखी जा रही है। जिन वाहनों का चालान किया गया है, उनमें अधिकतर वे हैं जो बिना पीयूसी सर्टिफिकेट के चल रहे थे या जिनकी अवधि समाप्त हो चुकी थी।
निर्माण स्थलों पर प्रतिबंध: निर्माण स्थल वायु प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं, खासकर धूल और कणीय प्रदूषकों का। इसलिए, एनसीआर में 7,000 से अधिक निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया गया, जिसमें से 597 साइटों पर पर्यावरण मुआवजा (Environmental Compensation) लगाया गया, जबकि 56 साइटों को बंद कर दिया गया है।
सड़कों पर धूल नियंत्रण: सड़कों पर जमा धूल को हटाने के लिए विशेष मशीनें जैसे मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन, वॉटर स्प्रिंकलर और एंटी स्मॉग गन तैनात की गई हैं। दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 81 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें कार्यरत हैं, जबकि हरियाणा और यूपी में भी सड़कों पर धूल नियंत्रण के लिए ये मशीनें उपयोग की जा रही हैं।
अवैध डंपिंग पर कार्रवाई: दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध कचरा डंपिंग पर भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए 5,300 से अधिक निरीक्षण किए गए हैं। इस निरीक्षण में उन जगहों की पहचान की गई जहाँ अवैध रूप से कचरा फेंका जा रहा था।
उद्योगों और डीजल जनरेटर सेटों का निरीक्षण: प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एनसीआर की विभिन्न एजेंसियों ने 1,400 उद्योगों और 1,300 डीजी सेटों का निरीक्षण किया। अनुपालन न करने वाले उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।
दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई और प्रयास किए गए हैं। यहाँ के मुख्य मार्गों पर मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें नियमित रूप से कार्यरत हैं। दिल्ली में हवा को साफ रखने के लिए हर जगह वॉटर स्प्रिंकलर का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही, एंटी स्मॉग गन का भी प्रयोग किया जा रहा है ताकि प्रदूषक कणों को नीचे लाकर वायुमंडल को स्वच्छ रखा जा सके।
प्रशासनिक उपायों के साथ ही, आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे प्रदूषण कम करने में अपना योगदान दें। वाहनों की पीयूसी सर्टिफिकेट को नियमित रूप से अपडेट कराना, अनावश्यक रूप से गाड़ियों का इस्तेमाल न करना और कचरा जलाने से बचना कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं जिनका पालन हर नागरिक को करना चाहिए। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सही दिशा में प्रयासों से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इन उपायों का उद्देश्य सिर्फ वायु गुणवत्ता में सुधार करना नहीं है, बल्कि लाखों लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है।
Source- IANS