हरियाणा में पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई, जानें सरकार के नए आदेश
हरियाणा सरकार ने पराली जलाने पर सख्त कदम उठाते हुए नए आदेश जारी किए हैं, जिनके तहत अगर कोई किसान पराली जलाता है, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। यह आदेश 15 सितंबर 2024 से लागू हुआ है और इसका मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
हर साल पराली जलाने से उत्तरी भारत के राज्यों में प्रदूषण की स्थिति बिगड़ जाती है। विशेषकर हरियाणा और पंजाब में किसान फसलों की कटाई के बाद पराली को जलाकर खेत साफ करते हैं, जिससे धुआं और वायु प्रदूषण फैलता है। इस बार हरियाणा सरकार ने इसे रोकने के लिए न सिर्फ जुर्माना लगाया, बल्कि भविष्य में किसानों के ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में फसल बेचने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
पराली जलाने पर क्यों है रोक?
हर साल खरीफ फसल (मुख्यत: धान) की कटाई के बाद बड़ी मात्रा में पराली खेतों में बच जाती है। किसानों के पास समय की कमी होने के कारण वे इसे जलाकर खत्म कर देते हैं। लेकिन पराली जलाने से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें वायुमंडल में मिलती हैं, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।
यह समस्या सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर भारत में फैली हुई है। खासकर सर्दियों के मौसम में जब दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में स्मॉग का खतरा बढ़ जाता है, तो पराली जलाने को एक मुख्य कारण माना जाता है।
सरकार के नए निर्देश
हरियाणा सरकार ने इस बार सख्ती से निर्देश जारी किए हैं कि जिन किसानों के खेतों में पराली जलाई जाएगी, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
FIR दर्ज होगी: पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सीधा FIR दर्ज होगी।
रेड एंट्री: जिन किसानों के नाम पर FIR होगी, उनके खेतों के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ की जाएगी। इसका मतलब यह होगा कि अगले दो सीजन तक ऐसे किसान अपनी फसल मंडियों में नहीं बेच पाएंगे।
ई-खरीद पोर्टल पर रोक: ऐसे किसान ई-खरीद पोर्टल का उपयोग नहीं कर पाएंगे, जिससे वे अपनी उपज सरकारी मंडियों में बेचने से वंचित रहेंगे।
पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केवल जुर्माना और सख्ती से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें मुआवजा देना जरूरी है, ताकि वे इसे जलाने की बजाय दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकें।
विशेषज्ञों का भी मानना है कि पराली जलाने की समस्या का हल जुर्माना लगाने से ज्यादा तकनीकी उपायों और जागरूकता से होगा। किसानों को मशीनें और दूसरी सुविधाएं दी जानी चाहिए, ताकि वे पराली को जलाने की बजाय इसका सही उपयोग कर सकें।
वैसे आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से प्रदूषण के मुद्दे पर विशेषज्ञों की मदद न लेने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) में विशेषज्ञ एजेंसियों की नियुक्ति के बारे में जानकारी मांगी। केंद्र ने बताया कि NERI विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है, लेकिन कोर्ट का कहना था कि पर्याप्त लोग बैठक में उपस्थित नहीं रहते। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस मुद्दे पर चल रही बातचीत और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवालों के बाद यह साफ है कि पराली जलाने की समस्या को केवल कानून से नहीं सुलझाया जा सकता। इसके लिए समग्र और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
हरियाणा सरकार का पराली जलाने पर सख्त कदम उठाने का उद्देश्य पर्यावरण को बचाना है, लेकिन यह भी जरूरी है कि किसानों के लिए बेहतर विकल्प मुहैया कराए जाएं। सख्ती के साथ-साथ जागरूकता और सहायता से ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकल सकता है।