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महाराष्ट्र में मंत्री पदों पर खींचतान, क्या भाजपा ने अजित पवार गुट को किया नजरअंदाज?

महाराष्ट्र की राजनीति में गृहमंत्रालय पर नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच, एनसीपी नेता अजित पवार ने अपने गुट के लिए मंत्री पद और अहम मंत्रालयों की मांग करते हुए दिल्ली का दौरा किया। लेकिन उनकी अमित शाह से मुलाकात नहीं हो सकी।
महाराष्ट्र में मंत्री पदों पर खींचतान, क्या भाजपा ने अजित पवार गुट को किया नजरअंदाज?
महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों गहरी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। गृहमंत्रालय के नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच खींचतान जारी है। इसी बीच एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की दिल्ली यात्रा ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। उनके इस दौरे को अहम मंत्रालयों की मांग और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के प्रयास से जोड़ा जा रहा था। हालांकि, यह यात्रा परिणाम विहीन रही, और यह मुद्दा अभी भी अनसुलझा है।
दिल्ली दौरे का मकसद और नतीजा
अजित पवार अपने गुट के संभावित मंत्रियों के लिए बड़े मंत्रालयों की मांग को लेकर दिल्ली पहुंचे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के इस गुट ने 7 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री पदों की मांग रखी थी। इसके अलावा, केंद्र में प्रफुल पटेल को कैबिनेट मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता को राज्यपाल बनाए जाने की मांग भी की गई। हालांकि, उनकी यह यात्रा उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। दो दिनों के दिल्ली दौरे के बावजूद उनकी अमित शाह से मुलाकात नहीं हो सकी। इससे यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फिलहाल अजित पवार गुट की मांगों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सूत्रों के अनुसार, अजित पवार गुट से आदिति तटकरे, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे का मंत्री पद बरकरार रह सकता है। इसके अलावा, दत्ता भरणे, नरहरी झिरवाल, संजय बनसोडे, इंद्रनील नाइक, संग्राम जगताप और सुनील शेलके को भी मंत्री पद दिए जाने की संभावना है। लेकिन यह तय करना भाजपा और शिंदे-फडणवीस नेतृत्व के हाथों में है।
महायुति के शपथ ग्रहण की तैयारी
इस राजनीतिक खींचतान के बीच, महायुति का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित किया जाएगा। महाराष्ट्र पुलिस ने इस आयोजन के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। वहीं, भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को फिर से अपना नेता चुना है, जो शपथ ग्रहण करेंगे।
गृहमंत्रालय पर शिंदे-फडणवीस की लड़ाई
महाराष्ट्र सरकार में गृहमंत्रालय हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण पद रहा है। मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस, दोनों ही इस पद पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, वर्तमान में यह जिम्मेदारी फडणवीस के पास है, लेकिन शिंदे इसे अपने पक्ष में करना चाहते हैं। यह तनाव महायुति सरकार की स्थिरता को लेकर सवाल खड़े करता है।

अजित पवार की राजनीति हमेशा से ही अप्रत्याशित रही है। भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद, उनके गुट को अभी तक वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। अमित शाह से मुलाकात न हो पाना और उनकी मांगों का अनसुना किया जाना, उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस मामले में क्या रुख अपनाती है। क्या वह अजित पवार गुट को उनका उचित प्रतिनिधित्व देगी, या यह खींचतान और बढ़ेगी?

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