बंग्लादेश में तख्तापलट के बाद भारत -अमेरिका के रिश्तों में कसमसाहट
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से एक नई मुसीबत शुरू हो गई है। बंग्लादेश की सड़कों पर फिलिस्तीन के झंडे बड़े पैमाने पर लहरा रहे हैं। इतना ही नहीं, ढाका सहित कई शहरों में #HizbutTahrir नाम का संगठन ISIS की तरफ खलीफा राज्य स्थापित करने की मांग कर रहा है।
CIA ने शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार का तख्तापलट ये सोचकर करवाया कि "सेंट मार्टिन" द्वीप उसके कब्जे में आ जाएगी। सेंट मार्टिन द्वीप पर सैन्य ठिकाना बनाकर वो south china sea पर निगरानी रख सकेगा। इसके साथ ही भारत और चीन जैसी भविष्य की आर्थिक महाशक्तियों के पड़ोस में रहकर वो इन्हें न्यूट्रलाइज कर सकेगा। पर बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से एक नई मुसीबत शुरू हो गई है। बंग्लादेश की सड़कों पर फिलिस्तीन के झंडे बड़े पैमाने पर लहरा रहे हैं। इतना ही नहीं, ढाका सहित कई शहरों में #HizbutTahrir नाम का संगठन ISIS की तरफ खलीफा राज्य स्थापित करने की मांग कर रहा है। कट्टरपंथियों के विरोध प्रदर्शन के बाद अमेरिका का ढाका में अपना दूतावास तक बंद करना पड़ा है।
अमेरिका और पश्चिम समर्थित मीडिया "The Diplomat" के ताज़ा सर्वे में कहा गया है कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद south एशिया में अमेरिका की स्वीकार्यता में काफ़ी कमी आई है। भारत में भी बहुत सारे लोग अमेरिका को लेकर सशंकित हैं। Indian subcontinent में अमेरिका की पकड़ लगातार कमज़ोर हो रही है और चीन का दखल बढ़ रहा है। भारत जो अमेरिका को अपना दोस्त समझता था, ने अब अमेरिका को "Rainy day Boyfriend" कैटेगरी में डाल दिया है। Rainy day Boyfriend अंतराष्ट्रीय कूटनीति का शब्द है, जिसे आसान भाषा में"मतलब का यार" कह सकते हैं।
इसका मतलब ये है कि अब भारत सरकार भी ये मानती है कि अमेरिका दोस्त नहीं, बल्कि ज़रूरत का यार है।। अब भारत- अमेरिका सिर्फ़ अपने- अपने फ़ायदा देखकर ही संवाद करेंगे। भारत अब नए सिरे से मित्र राष्ट्र की तलाश में जुट गया है।। एशिया में जापान, साउथ कोरिया, आसियान देश, यूरोप में रूस, फ्रांस और जर्मनी, अरब देशों में सऊदी अरब, UAE, इजराइल और कतर को भारत के विदेश मंत्रालय में "मित्र राष्ट्रों" की सूची में रखा है।
उधर अमेरिकी मीडिया में इस बात का शोर है कि भारत सरकार की प्रोपोगंडा मशीनरी बांग्लादेश में हिंसा को "हिंदू- मुस्लिम" का रंग दे रही है। दरअसल भारत सरकार बांग्लादेश को एक divided society दिखाना चाहती है। युनूस सरकार को भारत के इस प्रोपोगंडा के खिलाफ़ भी लड़ना होगा।