BJP की वो एक 'गलती' जिसकी वजह से Ayodhya के बाद Badrinath में मिली हार
इन सवालों का जवाब जानना है तो आपको करीब चार महीने पीछे चलना होगा जब 17 मार्च 2024 को राजधानी दिल्ली में स्थित भाजपा मुख्यालय में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे राजेंद्र भंडारी को बीजेपी की सदस्यता दिलाई जा रही थी।
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे राजेंद्र भंडारी को पार्टी की सदस्यता दिलाने के लिए बीजेपी ने किस कदर हड़बड़ी दिखाई।ये इसी बात से समझ सकते हैं कि जिन कपड़ों में राजेंद्र भंडारी ने 17 मार्च को बीजेपी की सदस्यता ली और भाजपा कार्यालय में पीएम मोदी का गुणगान कर रहे थे।उसी कपड़े में ठीक चौबीस घंटे पहले राजेंद्र भंडारी उत्तराखंड में बीजेपी को कोस रहे थे।
जिस राजेंद्र भंडारी ने उत्तराखंड में बीजेपी को पानी पी पी कर कोसा, उसे हराने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा। वही राजेंद्र भंडारी चौबीस घंटे के अंदर ही भाजपाई बन गये और बीजेपी का गुणगान करने लगे।बीजेपी भी उन्हें पार्टी में शामिल कराने के लिए इस कदर हड़बड़ी में थी कि उन्हें कपड़े बदलने का भी वक्त नहीं दिया। यहां तक कि राजेंद्र भंडारी से चुनाव हारे उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी इस ज्वॉइनिंग में नहीं पहुंच सके।इसी बात से समझ सकते हैं कि किस तरह से राजेंद्र भंडारी की बीजेपी में हवा हवाई ज्वॉइनिंग करवाई गई और यकीन मानिये बद्रीनाथ उपचुनाव में यही बीजेपी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
क्योंकि जिस राजेंद्र भंडारी के खिलाफ बीजेपी ने सड़क पर मोर्चा खोला जिस राजेंद्र भंडारी के खिलाफ सरकार हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रही थी।जिस राजेंद्र भंडारी के खिलाफ बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर विरोध कर रहा था,वही कांग्रेसी राजेंद्र भंडारी दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता लेते नजर आए।जिससे संगठन से लेकर सरकार तक हर कोई जहां सन्न रह गया। तो वहीं बद्रीनाथ की जनता में भी इसका गलत संदेश गया क्योंकि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस नेता राजेंद्र भंडारी को जिताने वाली बद्रीनाथ की जनता को इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि दो साल के अंदर ही वो पाला बदल कर बीजेपी में चले जाएंगे और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।यही वजह है कि राजेंद्र भंडारी के बीजेपी में शामिल होने के बाद जब बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुआ तो यहां कि जनता ने उन्हें हराकर बीजेपी के साथ साथ राजेंद्र भंडारी को भी संदेश दे दिया कि बद्रीनाथ की जनता दलबदलुओं को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा। राजेंद्र भंडारी के खिलाफ जनता का ये गुस्सा चुनावी नतीजों में भी साफ नजर आया।
बद्रीनाथ उपचुनाव के नतीजे
- कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला को 28161 वोट मिले
- बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह भंडारी को 22937 वोट मिले
- इस तरह से कांग्रेसी बटोला 5224 वोटों से चुनाव जीत गये
बद्रीनाथ सीट से राजेंद्र भंडारी दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने, पहली बार साल 2012 में जीते और दूसरी बार 2022 में जीते। दो बार जीत के बाद राजेंद्र भंडारी को लगने लगा था कि वो किसी भी पार्टी में रहें। बद्रीनाथ की जनता उन्हें जिता देगी यही भ्रम बीजेपी को भी हो गया था। इसीलिये राजेंद्र भंडारी को बीजेपी में शामिल कराया गया लेकिन राजेंद्र भंडारी और बीजेपी दोनों ही बद्रीनाथ की जनता का गुस्सा भांपने में नाकाम रहे, जिसका असर ये हुआ कि जिस बीजेपी ने चार जून को ही गढ़वाल लोकसभा सीट पर भारी जीत दर्ज की थी। वही बीजेपी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में आने वाली बद्रीनाथ सीट हार गई।ये हार बीजेपी से कहीं ज्यादा राजेंद्र भंडारी की हार है।क्योंकि अगर बीजेपी या धामी सरकार के खिलाफ जनता में नाराजगी होती तो कुछ ही महीनों पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तराखंड की पांचों सीटों पर जीत हासिल नहीं करती।
अगर ये बीजेपी या धामी सरकार की हार होती तो,मंगलोर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए इतिहास में पहली बार दूसरे नंबर पर रह कर महज 422 वोटों से चुनाव नहीं हारती।बद्रीनाथ की जनता ने राजेंद्र भंडारी को हराकर बीजेपी को भी एक संदेश दे दिया है कि दलबदलुओं की राजनीति अब काम आने वाली नहीं है। जिस कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ता सड़क पर उतरें, उसी कांग्रेस के नेताओं को कार्यकर्ताओं पर थोपने से अब काम नहीं चलेगा। अच्छा होगा बीजेपी इस हार से सबक लेगी और फिर कभी दलबदल की राजनीति नहीं करेगी।