बीवी-बच्चों को अपना न मानने पर जज ने सुनाई खरी खोटी, सुना दिया गजब का फैसला
मेनटेनेंस न देने के लिए अपनी बीवी और बच्चे को अपना मामने से एक व्यक्ति इंकार कर रहा था। कोर्ट में दोनों पक्ष से वकील अपनी अपनी दलील रख रहें थे। जज की कुर्सी पर बैठे थे न्यायमूर्ती एम के व्यास। सुनवाई की शुरूआत हुई और जो तस्वीरें सामने आई वो देख सभी हैरान हो गए।
आज एक बार फिर मैं हाजिर हूं कोर्ट रूम की कुछ अहम सुनवाई की तस्वीरों के साथ। आज एक बार फिर आपको दिखाएंगे कोर्ट रूम की खुबसुरत जजमेंट, जो कई लोगों के लिए कई तरह के मैसेज देता है और आम लोगों का भरोसा नय्यालय के लिए कायम करते है।
मेनटेनेंस न देने के लिए अपनी बीवी और बच्चे को अपना मामने से एक व्यक्ति इंकार कर रहा था। कोर्ट में दोनों पक्ष से वकील अपनी अपनी दलील रख रहें थे। जज की कुर्सी पर बैठे थे न्यायमूर्ती एम.के. व्यास। सुनवाई की शुरूआत हुई। जज ने पुछा 'पत्नी है आपकी'। पिटीशनर के वकील ने कहा नहीं पत्नी नहीं है। फिर जज कहते है 'तो क्या है वो' वहीं महिला के वकील ने कहा 'पत्नी है सर'। इस बात पर थोड़े देर तक कोर्ट रूम का माहौल गर्म हो गया।
इसके बाद कोर्ट की सुनवाई आगे बढ़ी और बात पहुंची बच्चे पर। जज ने बोला कि '14 साल का नाबालिग बच्चा भी है'। इसपर पर पिटीशनर ने बच्चे को अपना मानने से इंकार कर दिया और कहा बच्चा भी हमारा नहीं है। हालांकि प्रतिवादी ने माना कि ये उन दोनों का ही बच्चा है। इसपर जज को थोड़ गुस्सा आया और उन्होंने नैतिक्ता की पाठ पढ़ा दी।
कोर्ट की सुनवाई के दौरान पता चलता है कि आज तक उस महिला और बच्चे को मेनटेनेंस का एक रूप्या नहीं मिला है। इसपर जज को हैरानी हुई और फिर जज के जो फैसला सुनाया। उसने ये बता दिया कि आज भी अगर आंख बंड कर के किसी पर भरोसा है तो वो है न्यायलय, वो है कोर्ट।
तो देखा आपने कि किस तरह से बीबी-बच्चे को अपना न मानने पर जज ने पिटीशनर को खरी खोटी सुनाई। खैर आपको छोड़े जाते है पूरे वीडियो के साथ। इसे सुनिए फिर हमें कमेंट कर बताईए कि जज के इस फैसले को आप किस तरह से दखते है।