महाराष्ट्र की फडणवीस सरकर की राह नहीं होने वाली है आसान, जानिए किन चुनौतियों से जूझेंगे नए मुख्यमंत्री
बीजेपी के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार राज्य मुख्यमंत्री वही उनके साथ शिवसेना प्रमुख एक नाथ शिंदे और एनसीपी के अजीत पवार ने भी राज्य के उप-मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। महाराष्ट्र की नई सरकार के मुखिया बनने के बाद फडणवीस के सामने कई चुनौती बड़ी चुनौती भी सामने आने वाली है।
काफ़ी जद्दोजहद के बाद गुरुवार की शाम महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हुआ। बीजेपी के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार राज्य मुख्यमंत्री वही उनके साथ शिवसेना प्रमुख एक नाथ शिंदे और एनसीपी के अजीत पवार ने भी राज्य के उप-मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत एनडीए के कई दिग्गज नेता मंच पर मौजूद रहे। महाराष्ट्र की नई सरकार के मुखिया बनने के बाद फडणवीस के सामने कई चुनौती बड़ी चुनौती भी सामने आने वाली है।
महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बाद सरकार के गठन 11 दिन का समय लगा गया। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह रही कि मुख्यमंत्री के कौन होगा इसके लिए मुंबई से लेकर राजधानी दिल्ली तक लम्बे समय तक मंथन चलता रहा। इस बीच जब इस बात पर महायुति में सहमति बनी की राज्य का नया मुख्यमंत्री बीजेपी से होगा। तब से ही फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहा था और साथ ही विधायक दल की बैठक में फडणवीस को सदन का नेता चुना गया। तीसरी बार मुख्यमंत्री बने फडणवीस को अब कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता हैं। कुछ ऐसे अहम मुद्दे है जिसे चुनाव के पहले विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने मज़बूती से उठाया था लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे ने भले ही उन मुद्दों को दबा दिया हो लेकिन अब सत्ता पूर्ण रूप से फडणवीस के हाथों में है तो एक बार फिर से विपक्ष सरकार को उन मुद्दों को घेर सकता है। आइए आपको बताते है कि फडणवीस को किन-किन मोर्चे पर जूझना पड़ सकता है।
चुनावी वादे को पूरा करना होगी प्राथमिकता
महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति की जीत के पीछे शिंदे सरकार की लाडली बहन योजना की अहम भूमिका मानी जा रही है। इस योजना में तत्कालीन शिंदे सरकार ने इस योजना के अन्तर्गत 21 से 65 साल की उम्र की उन महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जा रहे हैं, जिनकी पारिवारिक सालाना आय ढाई लाख रुपये से कम है। चुनाव के दौरान महायुति ने इस योजना की रक़म को बढ़कर 2100 करने का वादा किया है। मुख्यमंत्री फडणवीस को इस वादे को पूरा करने में काफ़ी मशक़्क़त का सामना करना होगा क्योंकि हाल ही में राज्य की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हुई है। राज्य से एफडीआई बहार गया है। राज्य में किसानों में आय में भी घटौती देखी गई है। कर्जा बढ़कर 7.82 लाख करोड़ रुपये गया है। ऐसे में अगर लाड़ली बहन योजना वाले वादे को फडणवीस सरकार पूरा करती है तो राजस्व पर 90 हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा। ये मौजूदा सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
राज्य में मराठा आरक्षण का अहम मुद्दा
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दों लोगों ने मज़बूती से उठाया है। इसको लेकर मनोज जरांगे पाटिल काफ़ी लंबे समय से संघर्ष कर रहे है। विधानसभा चुनाव के दौरान महायुति ने उनसे वादा किया था की आगर राज्य में उनकी सरकार की वापसी होती है तो मराठा आरक्षण लागू किया जाएगा।मनोज जरांगे को मनाने में शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने सबसे अहम भूमिका निभाते हुए उन्हें विश्वास में लिया था। इस आरक्षण को लागू करना फडणवीस सरकार की सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है। इस मुद्दे को लेकर ओबीसी समुदाय भी नाराज़ है, उनका मानना है कि उनके आरक्षण को काटकर मराठों को दिया जाएगा। मुख्यमंत्री फडणवीस को दोनों समुदाय के बीच सामंजस्य बैठाकर वादे पर ध्यान देना अहम होगा।
विधानसभा के प्रदर्शन को बीएमसी चुनाव में दोहराना
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भले ही महाविकास अघाड़ी की हार हुई है लेकिन देश की सबसे बड़ी महानगरपालिका बीएमसी का चुनाव अब आने वाला है। इसको लेकर उद्धव ठाकरे की नज़र अब इस चुनाव पर होगी। बताते चले कि बीएमसी का बज़ट देश के कई छोटे राज्यों से भी ज्यादा होता है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के सामना करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है क्योंकि महानगरपालिका में शिवसेना का क़ब्ज़ा रह चुका है। वही इस चुनाव में शिंदे गुट बीजेपी से ज़्यादा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की माँग कर सकता है और अजीत पवार की माँग भी बड़ी हो सकती है। इस सब बातों को ध्यान में रखते हुए फडणवीस को धैर्यता के साथ सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा।
फडणवीस के सामने गुड गवर्नेंस को बनाए रखना भी बड़ी चुनौती
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी निभा रहे है। उनका पहला कार्यकाल काफ़ी अच्छा माना जाता है। अपने पहले के कार्यकाल में फडणवीस ने किसनों के लिए आ फ़ैसले लिए थे। उन्होंने किसनों के जलयुक्त शिविर योजना और मुंबई को नागपुर से जोड़ने के लिए 55 हज़ार करोड़ रुपए एक्सप्रेस परियोजना शुरू की थी, जिसकी काफ़ी प्रशंसा हुई थी। ऐसे में महाराष्ट्र की मौजूद आर्थिक स्थिति के बीच विकास परियोजनाओं को शुरू करना फडणवीस के लिए आसान नहीं होगा।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने 230 सीट पर जीत हासिल की थी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के खाते में 132, शिवसेना को 57 और अजीत पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिली थी।