योगी पर तंज अखिलेश के गले की फांस बन गया, योगी के कहर से बच नहीं पाए

बोखलाहट में अखिलेश ट्वीट करते हुए लिखते है -भाजपा के अंदर आपस में ‘विचारों का विलय’ नहीं हो रहा है और दावे दुनिया भर के। आप तो लखनऊ की कुर्सी पर ध्यान दें, जिसे दिल्लीवाले विलय ही नहीं, विलीन भी करनेवाले हैं। एक मुख्यमंत्री होने के नाते वैसे भी ये विषय आपके अधिकार क्षेत्र का नहीं है। ऐसा लगता है कि ये सुझाव देने के लिए आपको दिल्लीवालों ने मिलने का समय नहीं दिया तभी आप माइक पर बोलने को मजबूर हैं, नहीं तो ये बात तो आप भी समझते ही हैं कि जब आपस में खटास हो तो एक-दूसरे के अधिकार-क्षेत्र में अतिक्रमण और भी खलता है। ध्यान रखिएगा कहीं ऐसा न हो कि इस अतिक्रमण के ख़िलाफ़ कोई तोड़क कार्रवाई हो जाए, बुलडोज़र तो दिल्लीवालों के पास भी है।
अयोध्या के आरोपी और अखिलेश के करीबी पर जो बुलडोजर चला है शायद अखिलेश उससे आहत है और रही अधिकार की बात तो जब ममता दीदी ने बांग्लादेश के छात्रों के लिए बंगाल के दरवाजे खोलने की बात कही थी। तब शायद अखिलेश के मुंह में दही जमी हो सकती है और अब वो दही फट गई है।अखिलेश जी ये सेलेक्टिव राजनीति सब समझते है।इसी सेलेक्टिव राजनीति के चलते अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेस में योगी के ने लिए कहा कि सीएम बहुत रफ्तार से आगे भाग रहे है।
एक मुख्यमंत्री के लिए उछलने, कूदने, फूदकने जैसे शब्दो का इस्तेमाल दिखाता है कि अखिलेश कितनी बौखलाहट में है।बौखलाहट का एक और सबसे बड़ा कारण आरोपी समाजवादी पार्टी के नेताओं पर चलता योगी का बुलडोजर भी है।लेकिन अफसोस जिस वोटबैंक को खुश करने के लिए अखिलेश ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे है वो वोटबैंक उन्हें सत्ता नहीं दिला सकता।