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'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द संविधान से नहीं हटेगा, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट में संविधान से जुड़े दो शब्दों "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि "समाजवादी" होना केवल कल्याणकारी राज्य के रूप में समझा जाता है। वहीं "धर्मनिरपेक्षता" को संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा कहा है।
'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द संविधान से नहीं हटेगा, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
संविधान दिवस से एक दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट का संविधान से जुड़े दो "शब्दों"  पर बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने "समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को संविधान में शामिल करने की चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि इससे पहले 22 नवंबर को पीठ ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को एक बड़ी पीठ को भेजने को खारिज कर दिया था। दरअसल, सीजेआई खन्ना कुछ वकीलों की रुकावटों से नाराज होकर फैसला सुनाने वाले थे। लेकिन उन्होंने इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया था। 

"समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्द  संविधान से नहीं हटेगा 


सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से जुड़े 2 शब्दों "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" पर कहा है कि समाजवादी होना केवल कल्याणकारी राज्य के रूप में समझा जाता है। भारत में समाजवाद को समझने का तरीका अन्य देशों से अलग है। हमारे संदर्भ में समाजवाद का मुख्य रूप कल्याणकारी राज्य है। इसने कभी निजी क्षेत्र को नहीं रोका। यह अच्छी तरह से फल-फूल रहा है। हम सभी को इससे काफी लाभ हुआ है। वहीं सीजेआई खन्ना ने "धर्मनिरपेक्षता" को संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा कहा है। इस पर वकील जैन ने विरोध जताते हुए कहा कि संशोधन बिना लोगों की बात सुने पारित किया गया था। यह आपातकालीन के दौरान लागू हुआ था। इस शब्द का इस्तेमाल करने के लिए लोगों की विचारधाराओं को पालन करने के लिए मजबूर किया गया था। 

बता दें कि इस मामले में वकील जैन ने कहा कि इसमें विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। इस मामले पर बड़ी पीठ के द्वारा विचार किया जाना चाहिए। जिसके बाद सीजेआई ने दलील को स्पष्ट रूप से अस्वीकार किया था। संविधान में इन दो शब्दों के मामले पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार पीठ ने यह भी कहा कि लगभग इतने साल हो गए। लेकिन अब इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। 
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