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UP में Bengal से भी ज्यादा मुसलमान फिर भी वक्फ कानून के खिलाफ क्यों पसरा सन्नाटा ?

बंगाल से भी ज्यादा मुसलमान यूपी में हैं लेकिन वहां वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर कोई दंगा नहीं हो रहा है क्योंकि वहां सत्ता में योगी हैं जिन्हें दंगाइयों को काबू में करने की कला बहुत अच्छी तरह से आती है और यही कला सीएम योगी ने इशारों ही इशारों में ममता सरकार को भी समझा दिया है !
UP में Bengal से भी ज्यादा मुसलमान फिर भी वक्फ कानून के खिलाफ क्यों पसरा सन्नाटा ?
जिस वक्फ संशोधन कानून को देश की संसद ने पास किया. देश की राष्ट्रपति ने उस पर हस्ताक्षर किये. और अब पूरे देश में लागू भी कर दिया गया है. उस कानून को देश के ही मुसलमानों ने मानने से इंकार कर दिया और विरोध प्रदर्शन के नाम पर पश्चिम बंगाल की सड़कों पर उतर कर ऐसा तांडव किया कि ममता सरकार भी उन्हें काबू नहीं कर पाई. हालात ऐसे हो गये कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर बंगाल में पैरामिलिट्री फोर्स उतारनी पड़ गई. इसी बात से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में क्या हालात हो गये हैं. तो वहीं दूसरी तरफ बंगाल से भी ज्यादा मुसलमान यूपी में हैं. लेकिन इसके बावजूद वहां वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर कोई दंगा नहीं हो रहा है. क्योंकि वहां सत्ता में योगी हैं. जिन्हें दंगाइयों को काबू में करने की कला बहुत अच्छी तरह से आती है. और यही कला सीएम योगी ने इशारों ही इशारों में ममता सरकार को भी समझा दिया है.

दरअसल साल 2020 में जब मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून लेकर आई थी तो मुसलमानों ने इसका भारी विरोध किया था. यहां तक कि यूपी को भी नहीं बख्शा गया था. लेकिन यूपी की सत्ता संभाल रहे सीएम योगी ने भी इन दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए चौक चौराहे पर उनके पोस्टर लगवा दिए और उन्हीं से नुकसान की भरपाई भी करवाई थी. जिसका असर आज भी दिख रहा है. यही वजह है कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर यूपी में कहीं से भी दंगे की कोई खबर नहीं आ रही है..जबकि यूपी में सबसे ज्यादा मुसलमान हैं. लेकिन इसके बावजूद यूपी शांत है तो इसकी सबसे बड़ी वजह योगी सरकार की सख्ती है. जो कानून का पालन करवाना अच्छी तरह से जानती है.


बात यहीं खत्म नहीं होती. योगी सरकार ने कानून का सख्ती के साथ पालन करवाने के दम पर ही मस्जिदों से लाउडस्पीकर भी हटवा दिये. और सड़क पर नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया. ये कोई छोटी बात नहीं है. पहले की सरकारें तो ऐसे सख्त फैसले लेने से भी डरती थीं. क्योंकि उन्हें वोट बैंक खोने का डर लगा रहता था. लेकिन सीएम योगी ने मस्जिदों से लाउड स्पीकर भी हटवा दिये और सड़कों पर नमाज भी बंद करवा दी. जो एक बड़ी मिसाल है कि अगर सरकार चाह दे तो किसी की इतनी हिम्मत भी नहीं है कि वो विरोध प्रदर्शन के नाम पर दंगे को अंजाम दें.और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाएं.

सीएम योगी का ये बयान बता रहा है कि उनकी सरकार का फंडा क्लियर है.जो कायदे में रहेगा वो फायदे में रहेगा. और जो कानून तोड़ेगा. योगी सरकार उसे कानूनी तरीके से तोड़ेगी. योगी सरकार की इसी सख्ती का असर है कि अब तक यूपी के किसी कोने से वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हिंसा और तोड़फोड़ की कोई खबरें नहीं आई हैं. यहां तक कि खुद अरशद मदनी जैसे बड़े मौलाना भी मुसलमानों को सड़क पर उतरने से बचने की नसीहत दे रहे हैं.

योगी सरकार की सख्ती और मौलाना का ऐलान बता रहा है कि यूपी में वक्फ संशोधन कानून के नाम पर हिंसा और आगजनी के लिए कोई जगह नहीं है. सैयद उजमा परवीन जैसी कांग्रेस नेता ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने की सोच ही रही थीं कि पुलिस प्रशासन ने उन्हें दस लाख का नोटिस थमा दिया.

वक्फ संशोधन कानून को लेकर योगी सरकार ने पहले से ही जो सख्ती दिखाई थी. उसका असर ये रहा कि यूपी में इसके विरोध में कहीं कोई हिंसा नहीं हुई. और ना ही सड़क पर कोई विरोध प्रदर्शन हुआ. जबकि पश्चिम बंगाल के हालात कैसे हैं ये तो पूरा देश देख रहा है. जहां मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में भड़की हिंसा में तीन हिंदुओं की जान चली गई. और सबसे बड़ी बात ये है कि इन दंगाइयों से सख्ती के साथ निपटने की बजाए सीएम ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया कि हम वक्फ संशोधन कानून बंगाल में लागू नहीं होने देंगे. हालांकि संविधान की मानें तो कोई भी राज्य संसद से पास कानून लागू करने से इंकार नहीं कर सकता है. और अगर ऐसा किया भी तो केंद्र सरकार राज्य में आपातकाल लगा सकती है. बहरहाल आपको क्या लगता है. क्या ममता सरकार को भी बंगाल में दंगा रोकने के लिए योगी सरकार की तरह एक्शन लेना चाहिए. 
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