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कांग्रेस की नीति और नीयत में खोट है, जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है - मनोज तिवारी

Manoj Tiwari: कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव के वक्त बड़े-बड़े वादे किये थे। उन्होंने हर महिला को 1500 रुपया देने का वायदा किया था, आज हर महिला अपने हक को लेकर उनसे सवाल पूछ रही है।
कांग्रेस की नीति और नीयत में खोट है, जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है - मनोज तिवारी
Photo by:  Google

Manoj Tiwari: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी किया है। जिसे लेकर भाजपा सुक्खू सरकार पर हमलावर हो गई है। कोर्ट के इस आदेश पर लोकसभा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार दिवालिया होने के कगार पर है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से .....

बिजली का बिल नहीं देने से हिमाचल भवन के कुर्की का आदेश सरकार के आर्थिक दिवालिएपन को दिखाते हैं- मनोज तिवारी 

कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव के वक्त बड़े-बड़े वादे किये थे। उन्होंने हर महिला को 1500 रुपया देने का वायदा किया था, आज हर महिला अपने हक को लेकर उनसे सवाल पूछ रही है। सांसद ने आगे कहा, हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल हो चुकी है कि वहां के मंत्रियों और विधायकों को वेतन डोनेट करने को कहा जा रहा है। हिमाचल भवन का बिजली का बिल नहीं देने से हिमाचल भवन के कुर्की का आदेश सरकार के आर्थिक दिवालिएपन को दिखाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आप इसको दूसरी नजर से देखें तो जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां-वहां आर्थिक दिवालियापन और कुर्की देखने को मिलती रहती है।

कांग्रेस की नीति और नीयत में खोट है, जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है - मनोज तिवारी 

कांग्रेस की नीति और नीयत में खोट है, जिसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया जाना सुक्खू सरकार की विफलता को दिखाता है। कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार लगभग 150 करोड़ रुपये का बिजली बकाया भुगतान करने में विफल रही है। अदालत ने विद्युत विभाग के प्रधान सचिव को इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने के लिए कहा है। इससे पहले प्रदेश सरकार को कंपनी द्वारा जमा की गई 64 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि सात प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश मिला था। हिमाचल प्रदेश सरकार की कोर्ट के इस आदेश की अवहेलना के बाद ब्याज समेत यह राशि अब 150 करोड़ पहुंच गई है। इस मामले में अगली सुनवाई छह दिसंबर को तय की गई है। 

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