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कांग्रेस को बर्बाद कर देगा हरियाणा का ये धाकड़ नेता

कांग्रेस बीजेपी इनेलो या फिर आप हरियाणा में किसी भी राजनीतिक दल का खेल पलटते देर नहीं लगेगी ,इस खेल को पलटने में लोकदल जैसी पार्टियां अहम भूमिका निभा सकती है लेकिन कैसे ये आपको इस रिपोर्ट में हम बताने जा रहे हैं।
कांग्रेस को बर्बाद कर देगा हरियाणा का ये धाकड़ नेता

हरियाणा विधानसभा चुनावों का आगाज़ होते ही तमाम राजनीतिक दलों ने ताल ठोकनी शुरू कर दी है। लिस्ट जारी कर ये भी बता दिया है कि इस बार किस-किसको मैदान में उतारा जा रहा है। लेकिन अगर आप इस मुग़ालते में हैं कि ये मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस रहने वाला है, तो आपको यह गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए क्योंकि हरियाणा में किंगमेकर भी कभी-कभी ऐसा खेल पलट देते हैं कि किंग भी देखते रह जाते हैं। इस बार किंगमेकर की भूमिका लोकदल के खाते में जा सकती है। लोकदल आज की पार्टी नहीं है। इसका वर्चस्व, इसकी मजबूती, इसका दबदबा समझने के लिए आपको कुछ साल पीछे जाना होगा।

हरियाणा में फिर दिखेगा लोकदल का दबदबा 

बात साल 1987 की है। चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल हरियाणा में सबसे ताकतवर पार्टी थी। लोकदल में चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल की जोड़ी का विरोधियों के पास कोई जवाब ही नहीं था। बीजेपी को तो हरियाणा के गांवों में कोई जानता भी नहीं था। हालांकि, केंद्र के सियासी हालात ऐसे बने कि लोकदल ने बीजेपी को सहारा देने का फैसला किया। चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल ने 90 में से 21 सीटें बीजेपी को दीं। 69 सीटों पर लोकदल ने चुनाव लड़ा। 1987 के चुनावों में किसान, गरीब, मजदूर, जाट सब लोकदल के साथ थे। 69 में से 60 सीटें लोकदल के खाते में आईं। लोकदल ने चौधरी देवीलाल को हरियाणा का सीएम बनाया। हालांकि चौधरी चरण सिंह और देवीलाल की आंधी में भी बीजेपी सिर्फ 6 सीटें ही जीत पाई।

अगर आज के सियासी समीकरण की बात करें तो बीजेपी किसान विरोधी होने के बाद भी पूरी तरह सत्ता की रेस से बाहर नहीं है। उसके गुणा-गणित की, जोड़-तोड़ की सियासत के कारण बीजेपी अभी भी रेस में है। लेकिन चौधरी चरण सिंह और ताऊ देवीलाल की पार्टी लोकदल इस विजयी रथ को रोकने के लिए मैदान में कूद पड़ी है। अगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह सभी लोकदल को साथ लेने में कामयाब हो पाई, तो बीजेपी सत्ता से इतनी दूर रह जाएगी जिसकी किसी ने कल्पना भी ना की हो। क्योंकि कांग्रेस का कैडर और लोकदल की विचारधारा दोनों मिलकर हरियाणा में एक अटूट ताकत बन जाएंगे। लेकिन सच तो यह भी है कि किसी कारण अगर यह गठबंधन नहीं हुआ और लोकदल चुनाव में अपने दम पर उतर गया, तो चौधरी चरण सिंह और ताऊ देवीलाल का वोटर कांग्रेस का खेल पूरी तरह खराब कर सकता है और फायदा बीजेपी को मिल जाएगा। कहना गलत नहीं होगा कि इस बार गेंद लोकदल के पाले में है।

वैसे भी जब देश में किसानों को हाशिए पर खड़ा कर दिया जाए, तो किसकी जरूरत पड़ेगी? जब हर राजनीतिक दल किसानों को वोट बैंक समझे, उन्हें सिर्फ कुर्सी तक पहुंचने के लिए सीढ़ी समझे, तो किसकी जरूरत पड़ेगी? जब देश में किसानों पर जुल्म बेतहाशा बढ़ जाएं, उनकी हत्या होने लगे, तो किसकी जरूरत पड़ेगी? जब काले कानून का फंदा लिए सरकार ही किसानों को डराने लगे, तो किसकी जरूरत पड़ेगी? जरूरत पड़ेगी एक मसीहा की (चौधरी चरण सिंह और लोकदल के विजुअल्स), जरूरत पड़ेगी एक ऐसी विचारधारा की जो किसानों और गांवों को ही विकास की धुरी मानता है। जरूरत पड़ेगी चौधरी चरण सिंह की, ताऊ देवीलाल और उनके दिखाए रास्ते पर चलने वाले सच्चे नेताओं की। जरूरत लोकदल जैसी पार्टियों की है जो किसानों के हित के लिए कुछ भी करने को तैयार हो। जिसे पता हो कृषि प्रधान देश की जरूरत क्या है। जिसे पता हो हरियाणा जैसे प्रदेश में किसानों की असली परेशानी क्या है।

लोकदल ज़मीनी स्तर की पार्टी कही जाती है, जो ज़मीनी स्तर पर जाकर किसानों के साथ-साथ आम जनता की परेशानी को समझती है। इसी लिए हरियाणा को भी ऐसे ही नेता और ऐसी ही विचारधारा की इस वक्त बहुत जरूरत है। हरियाणा को लोकदल की जरूरत है। वो लोकदल जो एमएसपी का कानून बनाने के लिए हमेशा से संघर्ष करता रहा है। वो लोकदल जो किसानों की अपनी पार्टी है। वो लोकदल जिसे चौधरी चरण सिंह और ताऊ देवीलाल जैसे किसान नेताओं ने अपने खून-पसीने से सींचा है। हरियाणा में लोकदल की भूमिका बहुत अहम होने वाली है।


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