जाति पर भड़कने वाले Rahul और Akhilesh की सच्चाई से हो जाएंगे हैरान
दो "जातिवादी" नेता, जिनका पूरा करियर और राजनीति जाति और जातीय जनगणना के इर्द-गिर्द घूमती है, उन्ही नेताओं से जब उनकी जात पुछ लो। तो वो गाली लगने लगती है। जात के बारे में पूछे जाने पर ये भड़क उठते है।
Anurag Thakur : कबीरदासजी कहते है कि जाति न पूछो साधु की, पूछ लिजिए ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान'। लेकिन हाल के दिनों में ये उलटा हो चला है। कह सकते है ज्ञान न पूछो साधु की,पूछ लिजिए जाति, क्योंकि हाल के दिनों में जाती को लेकर बवाल मचा हुआ है।खुद अपने मुंह से पुछे तो वो सही, लेकिन दूसरा पुछ ले तो वो गाली।
दो "जातिवादी" नेता, जिनका पूरा करियर और राजनीति जाति और जातीय जनगणना के इर्द-गिर्द घूमती है, उन्ही नेताओं से जब उनकी जात पुछ लो। तो वो गाली लगने लगती है। जात के बारे में पूछे जाने पर ये भड़क उठते है।
30 जुलाई को सदन के अंदर केंद्रीय मंत्री Anurag Thakur ने अपने भाषण के दौरान अनुराग ठाकुर ने बीना किसी का नाम लिए जब ये कहा कि " दो लड़के भड़क उठे। एक खड़े होकर कहता है। कि अनुराग ठाकुर जी ने मुझे गाली दी है।पर मुझे इसके बदले उनसे माफी नहीं चाहिए, मैं एक लड़ाई लड़ रहा हूँ "।
वहीं दूसरे को इतना गुस्सा आ जता है कि, वो भरी सदन में बौखला उठाता है, औऱ कहने लगता है कि। "ये जाती कैसे पुछ सकते है"।
चलिए एक मिनट के लिए मान लेते है कि अनुराग ठाकुर गलत है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए किसी पर जाती को लेकर टिपप्णी कर दी। आहत होने वाली बात है। लेकिन अखिलेश जी और राहुल जी आपसे मेरा सवाल है कि जाती के बारे में पुछना आपको गाली लगती है। फिर आप जातीय जानगणना क्यों कराना चाहते है। क्योंकि जातीय जानगणना के लिए सभी को अपना जात बताना होगा, और उनसे यही सवाल पूछा जाएगा कि 'आपकी जाती क्या है?'
चलिए अब सदन के अंदर जो हुआ उससे बाहर निकलते है। और उन चेहरो का पर्दाफाश करते है जिनके हाथियों की तरह हो दांत है, एक खाने के और एक दिखाने के। चुनाव के वक्त की एक तस्वीर देखिए, राहुल गांधी प्रचार कर रहें है, भारी भीड़ है, समर्थक साथ है, मीडिया इनके यात्रा को कवर रही है। उसी मीडिया से एक पत्रकार कुछ सवाल पुछता है। और यहां बस इतनी सी बात नहीं हुई थी। यहां उस पत्रकार पर भीड़ में मारपीट भी की गई, तभी तो राहुल कह रहें थे नहीं नहीं उन्हें मारो मत।
ये है पहले लड़के की सच्चाई, जो सदन में अलग और सड़क पर अलग है। अब देखिए दूसरे लड़के के कारनामे। मीडिया इनसे जब law and order को लेकर सवाल पुछती है। तो जवाब देने के बजाए पत्रकार की जात पुछ लेते है।
आज जिस राहुल गांधी को जाती पुछना एक गाली जैसा लग रहा है, या अखिलेश यादव जाती की बात पर भड़क जा रहें है, और कह रहें है कि जाती कैसे पुछ सकते है। तब राहुल गांधी को अखिलेश यादव का पत्रकार से नाम पूछा जाना और उन्हें जाती का टैग देना गाली क्यों नहीं लगा, या फिर अखिलेश का ये गुस्सा कहां गया जब राहुल भरी भीड़ में नाम और मालिक का नाम पूछकर पत्रकार पर जाती का ठप्पा लगा रहें थे। अब मेरा सवाल मेरी जनता से है कि क्या जाती पूछा जाना गलत है,