TMC सांसद सुष्मिता देव ने एनडीए पर लगाया संसद न चलने देने का आरोप
तृणमूल कांग्रेस की नेता और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने कहा, “72 सालों में हमने ऐसा कभी नहीं देखा कि जो लोग सत्ता में हैं, वो लोग ही सदन नहीं चलने दे रहे हैं। वह पार्लियामेंट अफेयर्स के मंत्री हैं या भाजपा के प्रवक्ता। उन्हें यह समझना होगा कि एक पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री के बीच बहुत फर्क होता है। हमने 72 सालों में ऐसा संसदीय मामलों का मंत्री नहीं देखा, जो सदन की गरिमा को नहीं मानते हैं। वह भाजपा के नेताओं को हंगामा करने के लिए इशारा देते हैं, ताकि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा की जा सके।”
तृणमूल कांग्रेस की नेता और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने संसद न चलने देने का आरोप एनडीए पर लगाया है। उन्होंने कहा, एनडीए सदन को चलाना नहीं चाहती है। हम लोग तैयारी के साथ आए थे। लेकिन, एनडीए के नेताओं ने सदन नहीं चलने दिया।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “फर्टिलाइजर के दाम और महंगाई पर जीरो आवर था। लेकिन, एनडीए ने सदन चलने नहीं दिया। किरेन रिजिजू कह रहे हैं कि पिछले 72 सालों में यह नहीं हुआ, तो वो नहीं हुआ।”
उन्होंने आगे कहा, “72 सालों में हमने ऐसा कभी नहीं देखा कि जो लोग सत्ता में हैं, वो लोग ही सदन नहीं चलने दे रहे हैं। वह पार्लियामेंट अफेयर्स के मंत्री हैं या भाजपा के प्रवक्ता। उन्हें यह समझना होगा कि एक पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री के बीच बहुत फर्क होता है। हमने 72 सालों में ऐसा संसदीय मामलों का मंत्री नहीं देखा, जो सदन की गरिमा को नहीं मानते हैं। वह भाजपा के नेताओं को हंगामा करने के लिए इशारा देते हैं, ताकि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा की जा सके।”
वहीं, किरेन रिजिजू के किसान के बेटे वाले बयान पर सुष्मिता ने कहा, “बहुत लोग किसान के बेटे हैं। तृणमूल कांग्रेस में भी किसान के बेटे हैं। कोई किसी का भी बेटा हो। लेकिन, मेरा विनम्रतापूर्वक यही कहना है कि सदन को सदन की तरह ही चलने दिया जाए और जो लोग कुर्सी पर होते हैं, उसे दोनों तरफ दृष्टि करके सदन चलाना होता है। कुर्सी पर बैठने वाले व्यक्ति को यह बात समझनी होगी कि सिर्फ एक तरफ दृष्टि करने से सदन नहीं चलता है।”
इससे पहले सुष्मिता देव ने मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर राय रखी थी। उन्होंने कहा था, “कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। जिन पर हम लगातार आवाज उठा रहे हैं। बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, मणिपुर संकट और पश्चिम बंगाल के साथ हो रहे भेदभाव पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन, बीजेपी इन पर चर्चा नहीं चाहती। अब, अगर उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, तो यह हमारा संवैधानिक अधिकार है और यह संसदीय नियमों के तहत आता है। इस पर बीजेपी ने शोर मचाया और मामले को बढ़ा दिया। यह सब इसलिए हो रहा है ताकि अविश्वास प्रस्ताव को दबाया जा सके और लोगों के मुद्दों को नजरअंदाज किया जा सके। इस विरोध में तृणमूल कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया।"
Input: IANS