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भाजपा की जीत से TMC परेशान, नंदीग्राम में सभी सीटों पर किया कब्जा, TMC का सफाया

2024 के नंदीग्राम मोहम्मदपुर सहकारी समिति चुनाव में भाजपा ने सभी नौ सीटें जीतकर तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका दिया। भाजपा ने इस जीत को ममता बनर्जी के कुशासन के अंत की शुरुआत बताते हुए इसे जनता की जीत कहा। तृणमूल खाता भी नहीं खोल पाई।
भाजपा की जीत से TMC परेशान, नंदीग्राम में सभी सीटों पर किया कब्जा, TMC का सफाया
बंगाल में नंदीग्राम की मोहम्मदपुर सहकारी समिति के चुनाव में भाजपा ने सभी नौ सीटों पर कब्जा कर लिया, जिससे तृणमूल कांग्रेस (TMC) का खाता भी नहीं खुल सका। यह चुनाव नंदीग्राम के राजनीतिक वातावरण में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है, जिसे सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की जीत ने राज्य में टीएमसी के खिलाफ जनता की नाराजगी को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि यह नतीजे ममता बनर्जी के "कुशासन" के खिलाफ जनता के विद्रोह का संकेत हैं। उन्होंने इसे बंगाल में राजनीतिक बदलाव की शुरुआत बताया और कहा कि आने वाले समय में TMC का हर जगह से सफाया हो सकता है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह एक गैर-राजनीतिक चुनाव था और इसमें पार्टी का कोई आधिकारिक प्रतीक नहीं था।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में चुनाव के मायने
मोहम्मदपुर सहकारी समिति के चुनाव के परिणामों ने बंगाल में भाजपा की बढ़ती पैठ का संकेत दिया है। जिस नंदीग्राम क्षेत्र में ये चुनाव हुए, वहां पहले से ही भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा था, खासकर 2021 विधानसभा चुनाव के बाद से, जब सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हराया था। इस जीत के बाद भाजपा ने बंगाल में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का दावा किया। यह न केवल स्थानीय स्तर पर भाजपा की बढ़ती साख को दर्शाता है बल्कि तृणमूल के कमजोर होते आधार को भी उजागर करता है।
TMC के लिए चेतावनी
भाजपा की इस जीत को कई राजनीतिक विशेषज्ञ तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी चेतावनी के रूप में देख रहे हैं। नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और यहां भाजपा की जीत यह दिखाती है कि टीएमसी का पकड़ कमजोर हो रही है। TMC को अपने राजनीतिक रणनीति में सुधार की जरूरत है ताकि वह अपने गढ़ को फिर से मजबूत कर सके।

वैसे इन चुनावी परिणामों को देखकर यह साफ हो गया है कि बंगाल की जनता अब बदलाव चाहती है। भाजपा जिस तरह से इस चुनाव में एक मजबूत दावेदार बनकर उभरी है, उससे यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस चुनौती से कैसे निपटती है।
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